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Sunday 23 December 2018

Love is the availability to make people fool? - suraj k jaiswal kabira

Love is the availability to make people fool? - suraj k jaiswal kabira

ऐसे ही facebook scroll करते वक्त एक पोस्ट पर नजर पड़ी ‘ मुहब्बत मूर्ख बनाने की योग्यता का नाम है ‘

पहले तो अनायास ही हँसी आगयी उसे पढ़ कर पर जिसने लिखा था, उसकी बात अनायास नही हो सकती
Love is the availability to make people fool? Suraj k jaiswal kabira
मूर्ख बनाने की योग्यता। यह योग्यता भी कमाल की है ना, मुहब्बत जब अपनो से हो मूर्ख बन के ही हर लम्हा सवंर जाता है पर जब किसी अजनबी से मुहब्बत हो जाये तो.. कुछ भी हो सकता है ।


मूर्ख बनने की असली योग्यता तो अजनबी से मुहब्बत करने पर ही मिलती है । ऐसे शख्स के लिए लिखना और लिखते रहना, ऐसे शख्स के लिए सोचना और सोचते रहना, जिसके बारे में अभी हम यह नही जान पाए कि वो उसके ज़ज़्बात क्या है मेरे लिए…. पर सुकून बहुत है इसमें… चैन नही मिलता वो अलग बात है…

-कबीरा


मेरी डायरी और तुम - सूरज जायसवाल 'कबीरा'

मेरी डायरी और तुम
मेरी डायरी
मेरी डायरी और तुम
.....खैर अपनी बात अपनी डायरी को भी नही बताऊ तो किसे बताऊंगा। मेरी डायरी ही तो है जो हर रात को मेरे सारे अच्छे बुरे अनुभव खुद में सहेज लेती है। अच्छी बात ये है कि उसे मैं अपनी भाषा मे सब कुछ कह पाता हूं, कभी आज तक उसने ये नही कहा 'what the meaning of that lines? '

मैं सोच रहा था कि किसी दिन डायरी ने भी मेरी हिंदी समझने से इनकार कर दिया और तुम्हारी तरह वो भी कह उठे ' please tell me the meaning of your writing' उस दिन तो डायरी के उन कोरे पन्नो में भी वो अपनापन तलाशने में असफल हो जाऊंगा जैसे तुम्हारे दिल के किसी कोने में अपनी जगह तलाशने में हर बार असफल हो जाता हूं ।

पता है डायरी के किसी भी पन्ने में दिल नही है, पर उनसे मैं सिर्फ अपनी दिल की बातें ही share करता हु . वो क्या है कि दिमाग की तो पूरी दुनिया सुनती है, पर जब उन्हें अपने दिल की बात सुनाने जाओ तो हँसतें है सब। हा सच मे सब हँसतें है यार। तुम भी तो हँसती हो । क्या नही हँसती हो ? जब भी अपने दिल की बात तुम्हें बताने की सोचता हूं तुम्हे लगता है मैं मज़ाक कर रहा हु। तुम भी हँसती हो।

डायरी के पन्ने दिल नही रखते पर सब ज़ज़्बात सहेजतें है । और एक तुम हो, जो आजतक यह नही समझ पायी कि मैं तुम्हारे जिंदगी में क्यो हु?

    सच तो ये है कि तुम्हारी जिंदगी में मैं क्यो हु, ये बात तो आजतक मैं भी नही समझ पाया। मेरी सुबह से लेकर शाम तक, शाम से फिर सुबह तक, किसी हिस्से में तुम्हारा कोई वजूद नही । फिर भी जाने क्यों, तुम्हें सोचे बगैर मैं एक पल भी नही । एक पल भी नही... जाने क्यों ? 
- सूरज जायसवाल 'कबीरा'

Thursday 29 November 2018

राजीव दीक्षित- कितना झूठ, कितना सच- Suraj Jaiswal ' kabira'

आज राजीव दीक्षित जी का जन्म दिन एवं पुण्यतिथि भी है। मेरे मित्रता सूची में बहुत से राजीव दीक्षित के समर्थक है, कभी मैं भी हुआ करता था, पर तब मेरा बचपना था।
rajiv dixit by purple duniya


राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान कड़ी तपस्या अर्थात रिसर्च पर आधारित होती है, ऐसा उनके समर्थक कहते हैं। मैं भी कहता था क्योकि सुनने में बहुत अच्छा लगता था, पर जब उनके व्याख्यानों को प्रायोगिक स्तर पर समझने के प्रयास करने लगा तो लगा कि उनके ज्यादातर व्याख्यान आधे अधूरे रिसर्च और भावनाओ में बह के बोले गए होते हैं। 

मैं ऐसे ही नही कह रहा, एक उदाहरण भी दे रहा हु। अगर आप उनके समर्थक रहे है तो आपने उनका सर्पदंश वाला व्याख्यान जरूर सुना होगा, जिसमे वो दावा करतें है कि 'Naja-200' नाम के होमियोपैथीक दवाई से किसी भी साँप के काटें का इलाज हो सकता है। हालांकि इस व्याख्यान में वो और भी बहुत कुछ कोरी बातें करते पर उन सब पे आज बात नही करेंगे हम।

अगर आप पता करने की कोशिश करें तो शायद आपको एक भी इंसान ना मिले जो इस दवाई से सर्पदंश को झेल पाया हो। हा अगर कोई होगा भी तो बिल्कुल उसी सिद्धांत पे बचा होगा जिस पर ढोंगी सोखा/तांत्रिक इत्यादि बचाने का दावा करते हैं। इस दवा के भरोशे किसी की जान तो नही बची पर राजीव दीक्षित पर भरोसा करके बहुत लोगो ने अपनी जानें दे दी होगी। तो अगली बार Naja-200 वाला कोई पोस्ट शेयर करने से बचिए।

मैं राजीव दीक्षित जी का किसी भी तरह से विरोधी नही हु, पर किसी पर भी आंख मूंदकर विश्वास करना आपको आपके जिंदगी से भी दूर कर सकता है। मैं उनके स्वदेशी आंदोलन का आज भी समर्थक हु। कबीरा का नमन है उनको।

Thursday 12 July 2018

Wildlife Human conflict

Wildlife Human conflict

जब भी इंसान और वन्य जीवों का परस्पर संपर्क बढ़ता है, इसका प्रभाव नकारात्मक ही होता है।
पर यह प्रभाव या संपर्क पैदा कौन करता है?
Animals?
No no, I don't think they would like to interact in fucking human life.
शहरीकरण हम कर रहे, वनीकरण वो नही कर रहे, उल्टा हम उनके वनों को काट के मैदान बना रहे है।
एक नजर wildlife के definition पर भी डालते है👇
'The area under vegetation, which is place for wild species and is not a property of Human.'
दो दिन पहले रायवाला(देहरादून) में एक लेपर्ड(Panthera pardus) को मार दिया गया क्योकि वो आदमखोर हो गया था।

रायवाला जो कि पूरा Rajaji Tiger Reserve के अंदर आता है, वहा एक पूरा शहर बसा हुआ है। यह क्षेत्र कभी पूरा जंगल ही रहा होगा, पर इंसानों की चुलमची ने इसको खोखला करना शुरू किया होगा और रहना भी।
अब कोई तुम्हारे घर मे ही घुसकर तुम्ही पर राज करने लगे तो क्या तुम उसके लिए कोई कदम नही उठाओगे?
पक्का करोगे कुछ ना कुछ, राइट?
ये जो wild animals होतें हैं ना, ये भी यही करते है। ये आदमखोर नही है। अपने आशियाने को बचाने का प्रयास करते है, जो कि हम इंसान बर्बाद करने पर तुले हुए है।

पर हम कहा सुधरने वाले है, जब तक प्रकृति को पूरी तरह नष्ट ना करदे हम कहा ठहरने वाले है।
ये जंगली जानवर एक आदमी मारेंगें तो हम पूरा एक जंगल काट देंगे और पूरी एक wildlife ही खत्म कर देंगे, क्योकि हम इंसान है।
Really?
-कबीरा

Monday 4 June 2018

World Environment Day- Beat Plastic Pollution (suraj)

World Environment Day- Beat Plastic Pollution





हमारे पास प्लास्टिक के कई मूल्यवान उपयोग मौजूद है पर हम गंभीर पर्यावरणीय परिणामों के साथ एकल उपयोग या डिस्पोजेबल प्लास्टिक के आदी हो गए हैं। दुनिया भर में, हर मिनट एक मिलियन प्लास्टिक पीने की बोतलें खरीदी जाती हैं, जबकि हर साल दुनिया भर में 5 ट्रिलियन एकल उपयोग प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। कुल मिलाकर, उत्पादित सभी प्लास्टिक का आधा केवल एक बार उपयोग किया जाता है - और फिर फेंक दिया जाता है। प्लास्टिक कचरा अब प्राकृतिक पर्यावरण में इतनी सर्वव्यापी है कि वैज्ञानिकों ने यह भी सुझाव दिया है कि यह एंथ्रोपोसिन युग के भूवैज्ञानिक संकेतक के रूप में कार्य कर सकता है।



World Environment Day- Beat Plastic Pollution


कैसे प्लास्टिक हमारे बीच इतना हावी हुआ, इसका एक मोटा अकड़ा-
1950 से लेकर 1970 के दशक तक बहुत कम मात्रा में प्लास्टिक का उत्पादन हुआ था। इतना कम तो था कि उनका समन्वय पर्यावरण के साथ स्थापित किया जा सकता था।
1990 तक, इन दो दशकों में प्लास्टिक प्रदूषण करने वाले पीढ़ी की संख्या तीन गुनी से ज़्यादा हो चुकी थी ।
World Environment Day- Beat Plastic Pollution

आज हम हर साल 300 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन करते है जो कि सम्पूर्ण मानव जाति के वजन के बराबर है ।

हम कुछ अन्य चिंताजनक रुझान देख रहे हैं। 1950 के दशक से, प्लास्टिक उत्पादन की दर किसी भी अन्य सामग्री की तुलना में तेज़ी से बढ़ी है। इन दशकों में हमने टिकाउ और मजबूत प्लास्टिक का उत्पादन भी देखा है और ऐसे प्लास्टिक भी जो एक ही उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है।ई

 99% से अधिक प्लास्टिक तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला से प्राप्त रसायनों सउत्पादित होते हैं - जिनमें से सभी गंदे, गैर नवीकरणीय संसाधन हैं। यदि मौजूदा रुझान जारी रहता है तो 2050 तक प्लास्टिक उद्योग दुनिया की कुल तेल खपत का 20% हिस्सा ले सकता है।

World Environment Day- Beat Plastic Pollution
नदिया प्लास्टिक्स को बहा कर समुन्द्रों में ले जाती है और समुन्द्रों के प्रदूषित होने का एक बहुत बड़ा कारण बनती है ।


अधिकांश प्लास्टिक कभी नष्ट नही होते । वो छोटे और छोटे होते जाते है और फिर खेतों में, या जानवरो और मछलियों द्वारा निगल लिए जाते है जो फिर बाद में हमारे खाने के प्लेट तक पहुच जाते है ।
नालियो में गिरे प्लास्टिक में पानी जम जाता है और फिर कई तरह के वायरस, मच्छरों के प्रजनन का केंद्र बन जाता है, जो बाद में मलेरिया जैसे बीमारियों का कारण बनता है।

एक आंकड़े के अनुसार साल 2050 तक समुद्रों में मछलियों से ज्यादा तो प्लास्टिक हो जाएंगी यदि यही क्रम चलता रहा तो ।


हम क्या कर सकते है ?
ऐसा नही है कि सरकारें इस ओर ध्यान नही दे रही है, वो कई तरह के नियम, योजनाए चला रखी है ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके । पर हमे खुद भी आगे आकर इसके लिए प्रयास करना होगा ।

World Environment Day- Beat Plastic Pollution
बहुत सी चीजें है जो हम अपने लेवल पर कर सकते है जो एकल प्रयोग की प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम हो सके।
- हम फ़ूड सप्लायर पर दबाव बना सकते है कि वो प्लाटिक के चीजो में खाने की पैकिंग ना करे।

- हम सुपर मार्केट में अपना बैग ले कर जा सकते है ताकि वहां से पॉलीथिन ना लेना पड़े ।
-हम प्लास्टिक के छोटे छोटे चीजो जैसे चम्मच, स्ट्रा, प्लाटिक के गिलास इत्यादि के प्रयोग को ना कह सकते है ।
-हम अपने साथ ऐसे प्लास्टिक के बॉटल को कैर्री कर सकते है जो बार बार भरा जा सके ।
- हम अपने लोकल ऑथोरिटी से बात कर सकते है कि वो अपने क्षेत्र में एकल प्रयोग के प्लाटिक पर बैन लगाए ।
- हम लोगो स्व व्यक्तिगत तौर पर बात करके इस सम्बंध में जागरूक कर सकते है ।
- सोसल साइट्स पर प्रदूषण पर लेख लिख कर लोगो को जागरूक कर सकते है ।

वैश्वीक स्तर पर चल रहे इस पर्यावरण की लड़ाई में आप भी योद्धा बनिए और प्रकृति एयर पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दे।
स्रोत - UN environment
अनुवाद - Suraj Kumar Jaiswal

Saturday 21 April 2018

Internet In Mahabharata

Internet In Mahabharata


internet in Mahabharata
●महाभारत काल मे इंटरनेट●
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महाभारत का युद्ध अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। समस्त मैदान युद्ध मे घायल अथवा वीरगति को प्राप्त यौद्धाओं के शारीरिक अवशेषों से पटा हुआ है। दुर्योधन की 11 अक्षोहिणी सेना का समूल नाश हो चुका है और बलवान दुर्योधन अकेला ही गदा को लेकर रक्तरंजित शरीर को लिए सरोवर की ओर भागता चला जा रहा है। पांडवों के पक्ष में 2000 रथ, 700 हाथी, पांच हजार घुड़सवार तथा 10 हजार पैदल सैनिक मात्र बचे हैं। 
internet in Mahabharata


सहसा पांडवों के सेनापति धृष्टधुम्न मैदान में विजयी भाव से खड़े कृष्ण के सेनापति (और महाभारत के एकलौते Undefeated यौद्धा) "सात्यकि" के नजदीक आकर मैदान में बंधनो में जकड़े पड़े "संजय" को देख बोले-"इसका क्या करना है?"
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संजय? होल्ड ऑन... संजय महाभारत के युद्ध मे क्या कर रहा था? संजय का काम तो सॅटॅलाइट टीवी पर देखकर महाभारत का हाल धृतराष्ट्र को सुनाना होता था? 
Right? No... Absolutely Wrong.... 
internet in Mahabharata

वास्तव में... संजय महाभारत का हाल देखकर हर दो-चार दिनों में जाकर धृतराष्ट्र को मुंह से "Past Tense" में सुनाकर आता था। संजय को युद्धक्षेत्र में मुक्त विचरण करने की अनुमति वेदव्यास जी के द्वारा मिली थी। चूंकि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास दोनों पक्षों के लिए पूज्य थे इसलिए उनकी आज्ञा के उल्लंघन का साहस किसी मे नही था। 

परंतु...
युद्ध के अंतिम दिनों में कौरव पक्ष का विध्वंस होते देख संजय की स्वाभाविक स्वामिभक्ति जोर मार गई और उसने दुर्योधन के पक्ष में तलवार उठा ली और इस कारण पांडवों ने उसे बंदी बना लिया। 
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शल्य पर्व के अंतर्गत हृदप्रवेश पर्व में यह वर्णन आता है कि सात्यकि अंततः संजय के वध का निर्णय ले लेते हैं लेकिन ऐन मौके पर एक बार फिर वेदव्यास आ कर संजय को अभयदान देते हैं। 
इस प्रकार संजय बच निकलता है और सरोवर के नजदीक लहुलुहान हालत में मौजूद दुर्योधन से संवाद करते हुए अंततः हस्तिनापुर पहुंचता है। संजय को कोई दिव्यदृष्टि भी प्राप्त हुई थी, ऐसा कोई वर्णन महाभारत में है ही नही।
भारतीय इतिहास का सम्यक और मानवीय अध्ययन करना है तो मूल ग्रंथों को पढिये। 
जिनके ज्ञान का स्त्रोत "बीआर चोपड़ा की महाभारत" हो उन्हें महाभारत काल मे इंटरनेट के मुगालते हो आना सामान्य बात है।
मूल ग्रंथों को पढिये। अपनी संस्कृति और प्रतीकों के सम्मान के लिए अनगिनत वाजिब वजहें जरूर मिल जाएंगी। 
-विजय सिंह ठाकुराय जी के वाल से

Wednesday 28 March 2018

भोजन समय से नहीं कर सकते तो

भोजन समय से नहीं कर सकते तो
लोगो की दिनचर्या बहुत व्यस्तता भरी होती जारही ही | रोज की वही भागा दौड़ी में हम कही भूल जाते है कि इन सबके बीच हमारे सेहत की वाट लगी पड़ी है | खासतौर पर उन लोगो की सेहत में ज्यदा असर हो रहा है जो घर से दूर रहते है , कोई पढाई के लिए कोई नौकरी के लिए | ऐसे में होता ये है की हम खाने पर कम ध्यान दे पाते है, खासतौर पर जब खाना खुद बनाना होता है | पर यहा कुछ टिप्स है जिन्हें आप फॉलो करके कई तरह की बीमारियों से बच सकते है |

भोजन समय से नहीं कर सकते तो एक बात मान लो दिन भर में 10 - 12 ग्लॉस पानी ही लगभग हर घण्टे में 1 ग्लॉस पीते रहा करो ।

ऐसा करने से कम से कम ...

डिहाइड्रेशन तो नहीं होगा ।

चक्कर तो नहीं आयेंगे ।

उल्टी , दस्त से तो बचोगे ।
बार - बार ज़ुकाम और बुखार तो नहीं होगा ।
चेहरे पर झाइयां और फुंसियां तो नहीं होंगी ।
यूरिन और किडनी सम्बंधी बीमारियों से तो बचना होगा ।
...
थोड़ा और कुछ कर सको तो...
सुबह बस 30 मिनट का योगाभ्यास कर लो ,
15 मिनट प्राण साधना कर लो और 15 मिनट ध्यान कर लो ।
देख लेना कार्य करने की क्षमता और गुणवत्ता में वृद्धि हो जायेगी ।
भले ही फ़ील्ड वर्क है पर जितने परिश्रम से अभी जितना आउटपुट मिलता है ..
अपने दैनिक जीवन में इतना जोड़ लेने भर से ..इतने परिश्रम में ही परिणाम और बेहतर हो जायेंगे ।
..
जानता हूँ धन बहुत आवश्यक है , कैरियर बनाना है , भविष्य उज्जवल करना है ..लेकिन क्या स्वास्थ्य की कीमत पर ऐसा करना उचित होगा ?
  1. छोटी सी बात है ...एकबार करके देख लो ..शायद बार - बार बीमार पड़ना बन्द हो जाये ।

Saturday 24 March 2018

voyager वायेजर - मानव की लम्बी छलांग

voyager वायेजर - मानव की लम्बी छलांग

voyager वायेजर - मानव की लम्बी छलांग
खोज करना मानव की फ़ितरत है। इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है। तभी तो, मानव उस चीज़ को खोजने में जुटा हुआ है, जिसकी कोई हद नहीं। जिसका कोई ओर-छोर नहीं।

पर, वो आख़िर क्या है जिसका कोई ओर-छोर नहीं और हम जिसकी खोज में जुटे हुए हैं। वो है हमारा ब्रह्मांड।

इस में कितनी आकाशगंगाएं हैं?

कितने सितारे हैं?
कितने ग्रह और उपग्रह हैं?
इसमें से किसी भी सवाल का जवाब हमें नहीं मालूम। मगर हम ब्रह्मांड का ओर-छोर, इसके राज़ तलाशने में जुटे हैं।
मानव की खोजी फ़ितरत ने ही जन्म दिया है दुनिया के सबसे महान अंतरिक्ष अभियान को। इस महानअंतरिक्ष अभियान का नाम है-वायेजर

बात आज से 40 साल पहले की है। 1977 में अगस्त और सितंबर महीने में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दो अंतरिक्ष यान धरती से रवाना किए थे। इन्हीं का नाम था वायेजर एक और दो। वायेजर 2 को 20 अगस्त को अमरीकी अंतरिक्ष सेंटर केप कनावरल से छोड़ा गया था। वहीं वायेजर एक को पांच सितंबर को रवाना किया गया। आज से 40 बरस बाद ये दोनों अंतरिक्ष यान धरती से अरबों किलोमीटर की दूरी पर हैं। वायेजर एक तो अब हमारे सौर मंडल से भी दूर यानी क़रीब 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका है। वही वायेजर दो ने दूसरा रास्ता लेते करते हुए क़रीब 17 अरब किलोमीटर का सफ़र तय कर लिया है।

ये दूरी इतनी है कि वायेजर एक से धरती पर संदेश आने जाने में क़रीब 38 घंटे लगते हैं। वो भी तब जब ये रेडियो संकेत, 1 सेकेंड में तीन लाख किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, यानी प्रकाश की गति से चलते हैं। वहीं वायेजर 2 से धरती तक संदेश आने में 30 घंटे लगते हैं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि आज 40 साल बाद भी दोनों यान काम कर रहे हैं और मानवियत तक ब्रह्मांड के तमाम राज़ पहुंचा रहे हैं। हां, अब ये बूढ़े हो चले हैं। इनकी काम करने की ताक़त कमज़ोर हो गई है। इनकी तकनीक भी पुरानी पड़ चुकी है। आज, वायेजर यानों से आने वाले संदेश पकड़ने के लिए नासा ने पूरी दुनिया में रेडियो संकेत सेंटर बनाए हैं।

ये बात कुछ वैसी ही है जैसे आप शहर से बाहर जाएं तो आपको मोबाइल का संकेत पाने में मशक़्क़त करनी पड़े। ठीक इसी तरह आज नासा, दुनिया भर में बड़ी-बड़ी सैटेलाइट डिश लगाकर वायेजर से आने वाले संकेत पकड़ता है।

इस अभियान से शुरुआत से जुड़े हुए वैज्ञानिक एड स्टोन कहते हैं कि आज वायेजर एक ब्रह्मांड में इतनी दूर है, जहां शून्य, अंधेरे और सर्द माहौल के सिवा कुछ भी नहीं। वो बताते हैं कि वायेजर अभियान के डिज़ाइन पर 1972 में काम शुरू हुआ था।

आज 40 साल बाद वायेजर अभियान से हमें ब्रह्मांड के बहुत से राज़ पता चले हैं। बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेपच्युन ग्रहों के बारे में तमाम दिलचस्प जानकारियां मिली हैं। इन विशाल ग्रहों के चंद्रमा के बारे में तमाम जानकारियां वायेजर अभियान के ज़रिए मिली हैं।
Carl Sagan
वायेजर अभियान से जुड़े एक और व्यक्ति थे वैज्ञानिक कार्ल सगन। सगन ने वायेजर यानों से ग्रामोफ़ोन जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम किया था। वो पहले अमरीका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोफिजिक्स पढ़ाया करते थे। बाद में सगन नासा के लिए काम करने लगे। वो मंगल ग्रह पर जाने वाले पहले अभियान वाइकिंग का भी हिस्सा थे। उन्होंने बच्चों के लिए विज्ञान की कई दिलचस्प क़िताबें लिखीं। कई रेडियो और टीवी कार्यक्रमों में भी भागीदारी की।

वायेजर यानों में ग्रामोफ़ोन लगाने का उद्देश्य एक आशा थी। आशा ये कि धरती के अलावा भी ब्रह्मांड में कहीं जीवन अवश्य है। यात्रा करते-करते जब किसी और सभ्यता को हमारा वायेजर मिले, तो उसे मानवी सभ्यता की एक झलक इन ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड के ज़रिए मिले। यानी वायेजर सिर्फ़ एक अंतरिक्ष अभियान नहीं, बल्कि सुदूर ब्रह्मांड को भेजा गया मानवता का संदेश भी हैं। ये ग्रामोफ़ोन तांबे के डिस्क से बने हैं, जो क़रीब एक अरब साल तक सही सलामत रहेंगे। इस दौरान जो अगर वायेजर किसी ऐसी सभ्यता के हाथ लग गया जो ब्रह्मांड में कहीं बसती है, तो, इन ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड के ज़रिए उन्हें मानवता के होने का, उसकी प्रगति का संदेश मिलेगा।

नासा के सीनियर वैज्ञानिक एड स्टोन बताते हैं कि वायेजर यानों को साल 1977 में रवाना करने की भी एक वजह थी। उस साल सौर मंडल के ग्रहों की कुछ ऐसी स्थिति थी, कि ये यान सभी बड़े ग्रहों यानी बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून से होकर गुज़रते। इस अभियान पर काम करने वाली लिंडा स्पिलकर बताती हैं कि ग्रहों की स्थिति की वजह से उस दौरान नासा में काम कर रहे कई लोगों के बच्चे हुए थे। आज इन्हें वायेजर पीढ़ी के बच्चे कहा जाता है।

लॉन्च के 18 महीने बाद यानी 1979 में वायेजर 1 और 2 ने बृहस्पति यानी जुपिटर ग्रह की खोज शुरू की। दोनों अंतरिक्ष यान ने सौर मंडल के इस सबसे बड़े ग्रह की बेहद साफ़ और दिलचस्प तस्वीरें भेजीं।

वायेजर अभियान से जुड़े इकलौते ब्रिटिश वैज्ञानिक गैरी हंट बताते हैं कि वायेजर यानों से आने वाली हर तस्वीर जानकारी की नई परत खोलती थी।

वायेजर अभियान से पहले हमें यही पता था कि सौर मंडल में सिर्फ़ धरती पर ही ज्वालामुखी पाए जाते हैं। लेकिन वायेजर से पता चला कि बृहस्पति के एक चंद्रमा पर भी ज्वालामुखी हैं। एड स्टोन कहते हैं कि वायेजर अभियान ने सौर मंडल को लेकर हमारे तमाम ख़याल ग़लत साबित कर दिए। जैसे हमें पहले ये लगता था कि सागर सिर्फ़ धरती पर हैं। मगर, वायेजर से आई तस्वीरों से पता चला कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर भी सागर हैं।

आज की दिनांक में वायेजर अभियान की वास्तविक तस्वीरों को लंदन के क्वीन मैरी कॉलेज की लाइब्रेरी में रखा गया है। क्योंकि नासा ने इन तस्वीरों की डिजिटल कॉपी बना ली हैं।

गैरी हंट बताते हैं कि जब वायेजर 1 ने शनि के चंद्रमा मिमास की तस्वीरें भेजी थीं, तो उन्हें देखकर सभी लोग हैरान रह गए थे। वो दौर स्टार वार्स फ़िल्मों का था। इसलिए वैज्ञानिकों ने मिमास को ‘डेथ स्टार’ का फ़िल्मी नाम दिया था। वायेजर ने तस्वीरों के ज़रिए हमें शनि के वलयों के नए रहस्य बताए थे। इस अभियान से पता चला था कि शनि के उपग्रह टाइटन पर बड़ी तादाद में पेट्रोकेमिकल हैं। और यहां मीथेन गैस की बारिश होती है।

वायेजर अभियान के ज़रिए हमें शनि के छोटे से चंद्रमा एनसेलाडस का पता चला था। बात में कैसिनी-ह्यूजेंस अभियान के ज़रिए भी इसके बारे में कई जानकारियां मिली थीं। आज सौर मंडल में जीवन की के सबसे अधिक संभावना, शनि के चंद्रमा एनसेलाडस पर ही दिखती हैं।
वैज्ञानी एमिली लकड़ावाला कहती हैं कि शनि का हर चंद्रमा अपने आप में अलग है। एमिली के मुताबिक़ वायेजर के ज़रिए हमें ये एहसास हुआ कि शनि के तमाम चंद्रमाओं की पड़ताल के लिए हमें नए अभियान भेजने की ज़रूरत है। नवंबर 1980 में वायेजर 1 ने शनि से आगे का सफ़र शुरू किया। नौ महीने बाद वायेजर 2 ने सौर मंडल के दूर के ग्रहों का मार्ग लिया। वो 1986 में यूरेनस ग्रह के क़रीब पहुंचा। वायेजर 2 ने हमें बताया कि ये ग्रह गैस से बना हुआ है और इसके 10 उपग्रह हैं।

1989 में वायेजर 2 नेपच्यून ग्रह के क़रीब पहुंचा, तो हमें पता चला कि इस के चंद्रमा तो बेहद दिलचस्प हैं। ट्राइटन नाम के चंद्रमा पर नाइट्रोजन के गीज़र देखने को मिले। सौर मंडल के लंबी यात्रा में वायेजर 1 और 2 ने मानव को तमाम जानकारियों से सराबोर किया है। हमें पता चला है कि धरती पर होने वाली कई गतिविधियां सौर मंडल के दूसरे ग्रहों पर भी होती हैं।

वायेजर की खोज की बुनियाद पर ही बाद में कई और अंतरिक्ष अभियान शुरू किए गए। जैसे शनि के लिए कैसिनी-ह्यूजेंस अभियान अंतरिक्ष यान भेजा गया। बृहस्पति ग्रह के लिए गैलीलियो और जूनो यान भेजे गए। अब कई और अभियान सुदूर अंतरिक्ष भेजे जाने की योजना है। हालांकि फिलहाल यूरेनस और नेपच्यून ग्रहों के लिए किसी नए अभियान की योजना नहीं है। तब तक हमें वायेजर से मिली जानकारी से ही काम चलाना होगा।

मानव के इतिहास में ऐसे गिने-चुने अभियान ही हुए होंगे, जिनसे इतनी जानकारियां हासिल हुईं। आज चालीस साल बाद तकनीक ने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है। ऐसे में वायेजर यान पुराने पड़ चुके हैं।

वायेजर विश्व के पहले ऐसे अंतरिक्ष अभियान थे जिनका नियंत्रण कंप्यूटर के हाथ में था। आज चालीस वर्ष बाद भी ये दोनों ही यान ख़ुद से अपना सफर तय करते हैं। अपनी पड़ताल करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर अपना बैकअप सिस्टम चालू करते हैं।वायेजर को बनाने में इस्तेमाल हुई कई तकनीक हम आज भी इस्तेमाल करते हैं। आज के मोबाइल फ़ोन और सीडी प्लेयर वायेजर में इस्तेमाल हुई कोडिंग सिस्टम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। आज के स्मार्टफ़ोन में तस्वीरें प्रोसेस करने की जो तकनीक है, वो वायेजर के विकास के दौरान ही खोजी गई थी।

voyger
वायेजर अभियान का सबसे महान क्षण उस वक़्त आया था, जब 14 फरवरी 1990 को इसने अपने कैमरे धरती की तरफ़ घुमाए थे। उस दौरान पूरे सौर मंडल और ब्रह्मांड में धरती सिर्फ़ एक छोटी सी नीली प्रकाश जैसी दिखी थी। एमिली लकड़ावाला कहती हैं कि पूरे ब्रह्मांड में ये एक छोटी सी नीले रंग की टिमटिमाहट ही वो जगह है, जहां हम जानते हैं कि जीवन मौजूद है। वो कहती हैं कि किसी भी खगोलीय घटना से धरती पर से जीवन समाप्त हो सकता है। ऐसे में वायेजर के ज़रिए ही हमारी सभ्यता की निशानियां सुदूर ब्रह्मांड में बची रहेंगी।

2013 में वायेजर 1 अंतरिक्ष यान सौरमंडल से दूर निकल गया। आज वो अंतरिक्ष में घूम रहा है। अभी भी जानकारियां भेज रहा है। जल्द ही वायेजर 2 भी सौरमंडल से बाहर चला जाएगा।

दोनों ही अंतरिक्ष यान में आण्विक बैटरियां लगी हैं। जल्द ही इनसे विद्युत बनना बंद हो जाएगी। हर साल इनसे चार वाट कम बिजली बनती है। वायेजर के प्रोग्राम मैनेजर सूज़ी डॉड कहते हैं कि हमें बहुत सावधानी से वायेजर अभियान को जारी रखना है। इसके पुराने पड़ चुके यंत्र बंद किए जा रहे हैं। दोनों के कैमरे बंद किए जा चुके हैं। क्योंकि अंतरिक्ष में घुप्प अंधेरा है। देखने के लिए कुछ भी नहीं है। विद्युत बचाकर वायेजर को सर्द अंतरिक्ष मे गर्म बनाए रखा जा रहा है। सूज़ी डॉड कहते हैं कि अगले दस वर्षो में दोनों को पूरी तरह से बंद करना होगा। ये पूरी मानवता के लिए बहुत दुखद दिन होगा। हालांकि तब तक दोनों ने अपनी बेहद दिलचस्प ज़िंदगी का सफ़र पूरा कर लिया होगा।

लेकिन दोनों ही अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में हमेशा ही मौजूद रहेंगे। शायद किसी और सभ्यता को मानवियत के ये दूत मिल जाएं। फिर वो इन यानों में लगे ग्रामाफ़ोन रिकॉर्ड के ज़रिए मानवता का संदेश पढ़ सकेंगे। वायेजर अभियान के ज़रिए 1977 की दुनिया अंतरिक्ष में जी रही है। वायेजर अभियान ने मानवता को अमर कर दिया है।

Wednesday 14 March 2018

Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)

Stiphan Howking (स्टीफ़न  हॉकिंग)

उनके बारे में कहा जाता है कि उनके दिमाग ने इतना काम किया की शरीर ने काम करना बंद कर दिया | आज (१४/०३/२०१८) उस अद्भुत विज्ञानी ने हम सब का साथ छोड़ उस अद्भुत रहस्यमयी दुनिया में चला गया | 
stifan howkin 


ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है या नहीं, इस बारे में उनका कहना था कि अगर हमारी इस पृथ्वी पर जीवन अपने आप पनपा तो ब्रहमांड के उन अन्य ग्रहों में भी जीवन पनप सकता है, जहां जीवन के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होंगी। लेकिन, पिछली लगभग आधी सदी के दौरान हमारी सारी कोशिशों के बावजूद अब तक कहीं जीवन का पता नहीं लग पाया है। फिर भी, अगर कहीं एलियन हैं तो हमें उनसे सावधान रहना चाहिए। 
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)  बारे में कहा जाता है कि उनके दिमाग ने इतना काम किया की शरीर ने काम करना बंद कर दिया | आज  उस अद्भुत विज्ञानी ने हम सब का साथ छोड़ उस अद्भुत रहस्यमयी दुनिया में चला गया |

स्टीफन हॉकिंग का कहना था कि परग्रही सभ्यताओं को हमें अपना सुराग नहीं देना चाहिए क्योंकि वे अगर तकनीकी दृष्टि से हमसे कहीं अधिक उन्नत प्राणी हुए तो उनके कारण हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है।ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है या नहीं, इस बारे में उनका कहना था कि अगर हमारी इस पृथ्वी पर जीवन अपने आप पनपा तो ब्रहमांड के उन अन्य ग्रहों में भी जीवन पनप सकता है, जहां जीवन के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होंगी। लेकिन, पिछली लगभग आधी सदी के दौरान हमारी सारी कोशिशों के बावजूद अब तक कहीं जीवन का पता नहीं लग पाया है। फिर भी, अगर कहीं एलियन हैं तो हमें उनसे सावधान रहना चाहिए। 



हॉकिंग सोचते थे कि आगामी 20 वर्षों में तो वैज्ञानिकों को बुद्धिमान जीवों का पता लगने से रहा। लेकिन, यह भी सच है कि अंतरिक्ष में घूम रही केपलर दूरबीन ने अब तक 3,000 से अधिक बर्हिग्रहों का पता लगा लिया है। उसने जता दिया है कि हमारी अपनी आकाशगंगा में ही ऐसे अरबों ग्रह हो सकते हैं जिनमें जीवन का अस्तित्व हो सकता है। हॉकिंग का कहना था कि जितना ब्रह्मांड हम देख पा रहे हैं, उसी में हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की तरह कम से कम 100 अरब मंदाकिनियां होंगी। इसका साफ मतलब है कि हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं है। फिर भी हमें यही आशा करनी चाहिए कि बुद्धिमान एलियन हम तक न पहुंच पाएं क्योंकि उनसे मानव सभ्यता को भारी खतरा हो सकता है। 
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)


     स्टीफ़न हॉकिंग का जन्म ८ जनवरी १९४२ को फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में हुआ।    Stephen Hawking आज इतने महान ब्रह्मांड विज्ञानी थे , उनका स्कूली जीवन बहुत उत्कृष्ट नहीं था| वे शुरू में अपनी कक्षा में औसत से कम अंक पाने वाले छात्र थे, किन्तु उन्हें बोर्ड गेम खेलना अच्छा लगता था| उन्हें गणित में बहुत दिलचस्पी थी, यहाँ तक कि उन्होंने गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए कुछ लोगों की मदद से पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हिस्सों से कंप्यूटर बना दिया था| ग्यारह वर्ष की उम्र में स्टीफन, स्कूल गए और उसके बाद यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड गए| स्टीफन गणित का अध्ययन करना चाहते थे लेकिन यूनिवर्सिटी कॉलेज में गणित  उपलब्ध नहीं थी, इसलिए उन्होंने भौतिकी अपनाई। स्टीफन हॉकिंग एक मेधावी छात्र थे, इसलिए स्कूल और कॉलेज में हमेशा अव्वल आते रहे। तीन सालों में ही उन्हें प्रकृति विज्ञान में प्रथम श्रेणी की ऑनर्स की डिग्री मिली। जो कि उनके पिता के लिए किसी ख्वाब के पूरा होने से कम नहीं था। गणित को प्रिय विषय मानने वाले स्टीफन हॉकिंग में बड़े होकर अंतरिक्ष-विज्ञान में एक ख़ास रुचि जगी। यही वजह थी कि जब वे महज 20 वर्ष के थे, कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय में रिसर्च के लिए चुन लिए गए। ऑक्सफोर्ड में कोई भी ब्रह्मांड विज्ञान में काम नहीं कर रहा था उन्होंने इसमें शोध करने की ठानी और सीधे पहुंच गए कैम्ब्रिज। वहां उन्होंने कॉस्मोलॉजी यानी ब्रह्मांड विज्ञान में शोध किया। इसी विषय में उन्होंने पीएच.डी. भी की। अपनी पीएच.डी. करने के बाद जॉनविले और क्यूस कॉलेज के पहले रिचर्स फैलो और फिर बाद में प्रोफेशनल फैलो बने। यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन हॉकिंग ने वही किया जो वे चाहते थे। संयुक्त परिवार में भरोसा रखने वाले हॉकिंग आज भी अपने तीन बच्चों और एक पोते के साथ रहते हैं। स्टीफन के अंदर एक ग्रेट साइंटिस्ट की क्वालिटी बचपन से ही दिखाई देने लगी थी। दरअसल, किसी भी चीज़ के निर्माण और उसकी कार्य-प्रणाली को लेकर उनके अंदर तीव्र जिज्ञासा रहती थी। यही वजह थी कि जब वे स्कूल में थे, तो उनके सभी सहपाठी और टीचर उन्हें प्यार से 'आइंस्टाइन' कहकर बुलाते थे। 



जब वो 21 साल के थे तो एक बार छुट्टिय मानाने के मानाने के लिए अपने घर पर आये हुए थे , वो सीढ़ी से उतर रहे थे की तभी उन्हें बेहोशी का एहसास हुआ और वो तुरंत ही नीचे गिर पड़े।उन्हें डॉक्टर के पास ले जायेगा शुरू में तो सब ने उसे मात्र एक कमजोरी के कारण हुई घटना मानी पर बार-बार ऐसा होने पर उन्हें बड़े डोक्टरो के पास ले जाया गया , जहाँ ये पता लगा कि वो एक अनजान और कभी न ठीक होने वाली बीमारी से ग्रस्त है जिसका नाम है न्यूरॉन मोर्टार डीसीस ।इस बीमारी में शारीर के सारे अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है।और अंत में श्वास नली भी बंद हो जाने से मरीज घुट घुट के मर जाता है। डॉक्टरों ने कहा हॉकिंग बस 2 साल के मेहमान है। लेकिन हॉकिंग ने अपनी इच्छा शक्ति पर पूरी पकड़ बना ली थी और उन्होंने कहा की मैं 2 नहीं २० नहीं पूरे ५० सालो तक जियूँगा । उस समय सबने उन्हें दिलासा देने के लिए हाँ में हाँ मिला दी थी, पर आज दुनिया जानती है की हॉकिंग ने जो कहा वो कर के दिखाया । अपनी इसी बीमारी के बीच में ही उन्होंने अपनी पीएचडीपूरी की और अपनी प्रेमिका जेन वाइल्ड से विवाह किया तब तक हॉकिंग का पूरा दाहिना हिस्सा ख़राब हो चूका था वो stick के सहारे चलते थे । अब हॉकिंग ने अपने वैज्ञानिक जीवन का सफ़र शुरू किया और धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी।
रोग से पीड़ित होने के बावजूद भी वो किसी का सहारा नही लेते थे और अपने दैनिक कामो को निरंतर रखा | 1974  में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिलने के बाद आपेक्षिता का सिद्धांत और पुंज सिद्धांत पर काम करना शुरू कर दिया था | इस तरह इन दोनों सिद्धांतो को मिलाकर उन्होंने महाएकीकृत सिद्धांत बनाया था | उनके इस सिद्धांत से दुनिया भर में उनका नाम हो गया और उनको एक प्रख्यात वैज्ञानिक के रूप में जाना जाने लगा |
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)
 वे कहते हैं अगर आप विकलांग हैं या अपंग हैंतो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, और साथ ही दुनिया को दोष देने या अपने ऊपर किसी दया की उम्मीद करना सही नहीं है। बस आपके भीतर सकारात्मक विचार होने चाहिए और स्तिथि के अनुसार जितना हो सके अपना अच्छा योगदान देना चाहिए; अगर एक मनुष्य अपंग है तो उसे अपने मन से अपंग या विकलांग नहीं होना चाहिए। मेरे ख्याल से, उन्हें ऐसी गतिविधियोँ में ध्यान देना चाहिए जिससे की एक शारीरिक विकलांगता वाले व्यक्ति के लिए और भी गंभीर बाधा न उपस्थित हो सके। मुझे डर लगता है विकलांगों के लिए खेला जाने वाला ओलोम्पिक मेरे से अपील तो नहीं करगा, पर यह मेरे लिए कहना आसान होगा क्योंकि मुझे एथलेटिक्स पसंद नहीं है। दूसरी ओर देखें तो विज्ञान बहुत ही अच्छा विषय है क्योंकि यह दिमाग का खेल है। बिलकुल सही है यह बात क्योंकि बहुत सारे आविष्कारों से कुछ लोगों नें कमल कर दिया है लेकिन सैद्धांतिक काम लगभग आदर्श है। मेरी विकलांगता नें मेरे कार्य क्षेत्र में कोई बाधा नहीं दिया है जो की है सैद्धांतिक भौतिकी। बल्कि इससे मुझे मदद मिली है मेरे भाषण और प्रशासनिक कार्य पर परिरक्षण करने के लिए। मैं यह सब संभाल पाया , मेरी पत्नी, बच्चे, सहयोगी और छात्रों से ढेर सारे मदद के कारण। मैंने देखा साधारण रूप से लोग मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, पर आपको उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिए की वे महसूस करें कि उनके द्वारा किये गए प्रयास उचित और उपयुक्त साबित होंगे।


Tuesday 27 February 2018

want to perches jio coin

want to perches jio coin
want to perches jio coin?
नई दिल्ली : रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सूचना जारी की है. रिलायंस की तरफ से कहा गया है पिछले कुछ दिनों में मीडिया रिपोर्टस और कई वेबसाइट से पता चला है कि JioCoin एप लॉन्च होने की खबर आ रही है. इसके माध्यम से लोगों से क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्ट करने के लिए कहा जा रहा है. अब Reliance Jio ने क्रिप्टो करेंसी JioCoin को लेकर ग्राहकों को सूचना दी है कि जियो ने इस तरह के किसी भी एप को डाउनलोड करने से ग्राहकों को मना किया है.
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ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा
कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि इस तरह का कोई भी एप रिलायंस जियो की ओर से लॉन्च नहीं किया गया है. जियो की तरफ से कहा गया है कि JioCoin के नाम से आने वाला ऐसा कोई भी एप फर्जी है और लोगों को सलाह दी जाती है कि ऐसे किसी भी ऐप से दूर रहे. इस तरह के ऐप से ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है. जियो की तरफ से यह भी कहा गया कि जो लोगों को गुमराह कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकार सुरक्षित हैं.

प्ले स्टोर पर 22 एप उपलब्ध
पिछले दिनों व्हाट्सएप पर एक लिंक देकर यह भी दावा किया गया था कि 31 जनवरी 2018 से पहले रजिस्ट्रेशन कराने वाले को फ्री में जियोकॉइन मिलेगा. आपको बता दें कि इस तरह की कई रिपोर्ट सामने आई थी कि JioCoin क्रिप्टो करेंसी के नाम पर करीब 22 एप प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं. जिनमें Jio Coin, Jio Coin Buy और Jio Coin Crypto Currency जैसे एप शामिल हैं. इन एप को 10 हजार से लेकर 50 हजार लोगों ने डाउनलोड दिया गया है.

सभी दावों को झूठा बताया
आपको बता दें कि पिछले दिनों खबर आई थी कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में धमाल मचाने के बाद रिलायंस जियो (Reliance Jio) अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने का प्लान कर रहा है. यह भी बताया गया था कि इस प्रोजेक्ट को मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी लीड करेंगे. कुछ वायरल मैसेज में जियो कॉइन के 100 रुपए में लॉन्च होने का भी दावा किया गया था. अब इन सभी खबरों को जियो की तरफ से झूठा बताया गया है.

Sunday 25 February 2018

Facts about Indian Railway:Junction, terminus, central

भारतीय रेल तथ्य 
मित्रों, 
कुछ साधारण बातें भी ऐसी होती है, जिनके बारे में हम लोग नंही जानते..क्योंकि इन्हें जानने का कभी हमने प्रयास नंही किया..कुछ रेल्वे स्टेशनों के नाम के अंत मे क्यों लिखा होता ह टर्मिनल, सेंट्रल, जंक्शन ? जानिये इस बारे में आपको जानकारी दे रहे है श्री  Dinesh Patnia ji.

क्या आप जानते हैं...?
क्या आपने कभी सोचा है
कि रेलवे स्टेशनों के नाम के अन्त में जंक्शन, टर्मिनल, सेन्ट्रल क्यों लिखा होता है...?
अगर नहीं सोचा
या जानना चाहते हैं तो आपको इसका जवाब देने से पहले आपको भारतीय रेलवे की कुछ खूबियाँ बता देते हैं.
भारतीय रेलवे के नेटवर्क को विश्व का चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क का दर्जा प्राप्त है.
भारतीय रेलवे ट्रैक की 92,081 किलोमीटर लम्बाई में फैला हुआ है, जो देश के एक कोने से दूसरे कोने को जोड़ता है.
आकड़ों के अनुसार
भारतीय रेल एक दिन में लगभग 66,687 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं, लेकिन आज हम इन सब पर नहीं बल्कि रेलवे स्टेशनों के नाम के अन्त में जंक्शन, टर्मिनल, सेन्ट्रल क्यों लिखा होता है, इस बारे में बताएंगे.
सबसे पहले तो आपको
बता दें कि अगर किसी रेलवे स्टेशन के नाम के अन्त में टर्मिनल लिखा होने का मतलब यह है कि आगे रेलवे ट्रैक नही है, यानि ट्रेन जिस दिशा से आई है वापस उसी दिशा में वापस जाएगी.
what is the meaning of Terminal station 


टर्मिनस को टर्मिनल भी कहा जाता है, इसका मतलब यह ऐसे स्टेशन से है जहाँ से ट्रेन आगे नहीं जाती बल्कि वापस उसी दिशा में लौट जाती है जिधर से वह वापस आई है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में फिलहाल 27 ऐसे रेलवे स्टेशन पर टर्मिनल लिखा हुआ है.
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और लोकमान्य तिलक टर्मिनल देश के सबसे बड़े टर्मिनल स्टेशन हैं.
चलिए अब आपको बता देते हैं कि रेलवे स्टेशन के अन्त में सेन्ट्रल क्यों लिखा होता है.
what is meaning of central station
आपको बता दें कि 
रेलवे स्टेशन के अन्त में सेन्ट्रल लिखे होने का मतलब है कि उस शहर में एक से अधिक रेलवे स्टेशन हैं, जिस रेलवे स्टेशन के अन्त में सेन्ट्रल लिखा हो वह उस शहर का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन होता है, रेलवे स्टेशन के अन्त में सेन्ट्रल लिखे होने का दूसरा मतलब ये भी है कि यह उस शहर का सबसे अधिक व्यस्त रहने वाला रेलवे स्टेशन है
जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल भारत में मुंबई सेन्ट्रल , चेन्नई सेन्ट्रल त्रिवेंद्रम सेन्ट्रल , मंगलोर सेन्ट्रल , कानपुर सेन्ट्रल प्रमुख सेन्ट्रल स्टेशन हैं.
चलिए अब आपको बता देते हैं कि रेलवे स्टेशन के अन्त में जंक्शन क्यों लिखा होता है.
किसी स्टेशन के नाम के अन्त में जंक्शन लिखे होने का मतलब कि उस स्टेशन पर ट्रेन के आने जाने के लिए 3 से अधिक रास्ते हैं, यानि एक रास्ते से ट्रेन आ सकती है और दो अन्य रास्तों से ट्रेन स्टेशन से जा सकती है, इसलिए ऐसे स्टेशन के नाम के अन्त में जंक्शन लिखा होता है.
meaning of junction station

भारत में फिलहाल मथुरा जंक्शन (7 रूट्स ), (सालेम जंक्शन (6 रूट्स ), विजयवाड़ा जंक्शन (5 रूट्स ), बरेली जंक्शन (5 रूट्स ) बड़े जंक्शन स्टेशन हैं.
आशा है कि
ये जानकारियाँ अच्छी लगी होंगी ,अगर सच में ये जानकारी आपके लिए ज्ञान वर्धक थी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करिये |  धन्यवाद 

Thursday 22 February 2018

How to get overcome a Breakup - Breakup motivation (Hindi)

आपका भी ब्रेकअप हुआ है हाल ही में किसी से, और आपको लगता है आपकी दुनिया ही उजड़ गयी , सब ख़त्म हो गया, अब कुछ नही बचा जीने के लिए ?

तो मेरे दोस्त ये पोस्ट तुम्हारे लिए ही है | ऐसा नही है कि तुम अकेले हो इस दर्द में , यहा लाखो करोडो लोग ऐसे है जो इस दर्द को झेल रहे है, कुछ इससे निकल गए बच कर कुछ अभी भी फसे हुए है,कुछ ऐसे भी लोग थे जो जिन्दगी छोड़ दिए,जो नहीं लड़ सके इस मुसीबत से | 
जो जिन्दगी छोड़ के चले गये उनके बारे में मुझे कुछ नही कहना , अच्छा या बुरा, मै जज करने करने की क्षमता नही रखता | पर अगर तुम इस पोस्ट तक पहुचे हो तो जरुर इसलिए क्योकि तुम्हारे अन्दर काबिलियत है , तुम  जीना चाहते हो| कम से कम तुम ये तो समझते हो कि तुम्हारे पास एक जिंदगी है जो सिर्फ तुम्हारी है , ना ही उसपे किसी का हक है और ना ही किसी में इतनी क्षमता है कि कोई उसे बर्बाद कर सके|

दोस्त सबसे पहले तो तुम खुद से पुरे मन से स्वीकार करो कि तुम कभी गलत नही थे , ना अब हो ,और खुद को यकीन दिलाओ कि अभी इसी वक्त से तुम खुद को अपने हर पिछले वक्त से बेहतर बनाओगे | तुम वो हो जो की कोई नहीं है और इस बात को सिर्फ पढो सुनो या बोलो मत, इस बात पर अमल करो |  अपने नाम को ब्रांड बनाओ | 

वो शख्श जो आज छोड़ के गया या किसी वजह से छुट गया उसके ख्यालो में उलझने का अब कोई मतलब नही| पर इसका ये मतलब बिलकुल नही कि उसके ख्यालो से भागना शुरू कर दो | सबसे बड़ी गलती लोग यही कर देते है , वो खुद को उसके यादो से पीछा छुडाने का प्रयास करने लगते है | ऐसे में उस शख्श का ख्याल और भी मजबूत होकर पीछा करने लगता है | आने दो ख्यालो को |  ये आज़ाद है , आएंगे ही | पर खुद से बोलो ' आ जाओ देखता हु किसमे इतना दम है कि मुझे रोक सके |' नही इससे ख्याल आना बंद नही होंगे, इससे तुम्हे अपने शक्ति का पता चलेगा |
ब्रेकअप के दर्द से निकलने में सबसे बड़ी मुसीबत तो यह सोच ही होती है की ब्रेकअप मतलब सब कुछ ख़त्म | ऐसा नही है  दोस्त जब तुम ब्रेकअप से ओवर कॉम कर लोगे तो तुम्हे खुद यकीन हो जायेगा कि मेरी बात का क्या मतलब है | सब कुछ मै  अपने अनुभव करके बता रहा हु , कुछ भी हवा में बाते नही है | जो बात तुम्हे कल माननी है वो आज ही मान लो तो ज्यादा बेहतर है |  वो शख्श जो तुम्हारा सब कुछ था, अब वो तुम्हारे साथ नही है , पर फिर भी तुम जिन्दा हो | खुद से पूछो ये बात कि जो तुम्हारा जिन्दगी था अब तुम्हारे साथ नही फिर भी तुम जिन्दा हो,  आखिर हो तो किस मकसद से ? 

दोस्त हर कोई जन्मा है खास मकसद लेकर, खुद से पूछो कि वो मकसद क्या है | उस शख्श के पहले से तुम जी रहे हो, उस शख्श के बाद भी जिन्दा हो, और इस पोस्ट तक पहुचे हो तो जरुर  तुम्हारे पास एक जिन्दगी है जों तुम्हारी है | पहचानो उस जिंदगी को | वो तुम्हारी है , जी लो उसको |

Wednesday 21 February 2018

fashion clothings for Holi

होली आने वाला है ऐसे में आप भी ढूंढ रहे होंगे कुछ फैशन आइडियाज।  आम तौर पर लोग सफ़ेद कुर्ता पहनना ज्यादा पसंद करते है।  सफ़ेद रंग पे नीले पिले लाल गुलाल, वाह बात ही अलग है उसकी।

  आजकल  युवा कुर्ते से ज्यादा टी शर्ट पहनना पसंद करते है , अगर आप भी इस होली पर कुछ ऐसा ही पहनना चाहते है, और रंगो में घुलकर सबसे अलग दिखना चाहते है तो यहां इस लिंक पर विजिट कर amazon से शॉपिंग कर सकते है, इस होली पर कुछ अलग फैशन अगल लुक्स। यहां आपको 200 से 500 रूपये के रेंज में अच्छे टी शर्ट मिलने वाले है  .  click here amazon.com

Tuesday 20 February 2018

black cobra (in Hindi)

ब्लैक कोबरा(black cobra) सांपो के प्रजाति के कोबरा (NAJA NAJA) परिवार से सम्बन्ध रखता है . सामान्यतः इन्हें इंडियन कोबरा भी कहते है, क्योकि यह प्रायः भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, बांग्लादेश, नेपाल , भूटान, श्रीलंका) में पाए जाते है . यह दुनिया के 10 सबसे जहरीले और भारत के सबसे जहरीले सापो में अपना स्थान  बनाये है.

इनके पास अपना आवास नही होता है, यह ऐसी जगह रहना पसंद करते हैं जहाँ चूहे , खरगोश, मेढक और दुसरे सरीसृप आसानी से उपलब्ध हो  . यह किसी एक जगह रुक कर अपने शिकार का इंतजार करते रहते है. यह शिकार को तब तक नही निगलते जब तक की यह पूरी तरह निश्चित ना हो ले कि शिकार मर गया है .
ब्लैक कोबरा सुबह और शाम के समय सबसे ज्यादा क्रियाशील रहते है . यह बहुत शर्मीले होते है अर्थात यह मनुष्यों के संपर्क में आने से हमेशा बचते है . यह अपना पूरा प्रयास करते है की मनुष्यों के सम्पर्क से बच  के रहे . फिर भी शिकार के तलाश में अक्सर घरो में घुश जाते है और मनुष्यों के संपर्क में आ ही जाते है . जब यह खतरा महसूस करते है या इन्हें छेड़ा जाता है तो यह क्रोधित हो कर अपने उग्र रूप का प्रदर्शन करते है . तब यह अपने गर्दन वाले हिस्से को बढ़ाकर फन निकालते है . इसके बावजूद भी अगर छेड़छाड़ जारी रहता है तो यह आर भी घातक  हो जाते है .

अगर इनके विष के प्रभाव की बात करे तो इनके काटने के  30 मिनट के बाद इन्शान के श्वास में अवरोध होने लगता है . इनके विष से बचने का सही तरीका है कि  जितनी  जल्दी संभव हो एंटीवेनम दिया जाए रोगी को .
इनके जहर को कई तरह के दर्द नाशक दवाओ में भी उपयोग किया जाता है .  यह साप  जितने घातक होते है उतने ही  उपयोगी भी . और इनके शर्मीले व्यौहार से ये तब तक  खतरनाक सिद्ध नही  होते जब तक की वो स्वयं पर खतरा न महसूस कर ले  .
उम्मीद करते है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी बहुत जल्द इनके वैज्ञानिक विश्लेष्ण के साथ हम उपस्थित होंगे तब तक इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करिए  . पढने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
-Suraj

Saturday 10 February 2018

String theory

What is string theory ?
            वैसे तो string theory को explain करना आसान नही है, फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि आपको आसान भाषा ने समझा सकू ।
   
            स्ट्रिंग थ्योरी अब तक की सबसे बड़ी थ्योरी है जो हमारे ब्रह्मांड को एक्सप्लेन करती है । यह थ्योरी यह बताती है कि ब्रह्माण्ड में सबसे छोटी चीज कौन सी है, और उस एक चीज से ही ब्रह्मांड के अलग अलग चीजे बनी हुई है ।
एक ही चीज से अलग अलग चीजे कैसे बन सकती है ?
तो इसको ऐसे समझते है । एक ईंट और एक मिट्टी का घड़ा दोनो एक ही चीज मिट्टी से बनी होती है पर दोनों के गुण अलग अलग है । ऐसे दुनिया की हर चीज अत्यंत छोटे छोटे स्ट्रिंग से मिल कर बनी हुई है। स्ट्रिंग मतलब कोई तार जैसी संरचना की चीज। इस स्ट्रिंग की खास बात होती है कि यह 11 डाइमेंसन में ट्रेवेल करती है । स्ट्रिंग थ्योरी  से ही 11th डाइमेंसन को परिभाषित किया जाता है ।


             यह स्ट्रिंग इतने छोटे होते है कि यह 11 डाइमेंसन में वाइब्रेट कर सकते है । इनके 11 डाइमेंसन में वाइब्रेट करने से ही यह तय होता है कि किसी चीज की प्रकृति क्या है । यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे गिटार के स्ट्रिंग अलग- अलग वाइब्रेट करके अलग अलग म्यूजिक बनाते है, वैसे ही ये स्ट्रिंग अलग- अलग डाइमेंसन में वाइब्रेट करके अलग- अलग चीजे बनातें है ।

               जैसे एक गिटार बजाकर अलग- अलग म्यूजिक बनाते है वैसे ही भगवान इस ब्रह्मांड के गिटार को बजाकर अलग- अलग चीजे बनाता है और संचालित करता है ।

             हालांकि यह स्ट्रिंग थ्योरी अभी सत्यापित नही है । यह सत्य भी हो सकती है और असत्य भी पर अगर यह सत्य साबित हो जाती है तो हमारे ब्रह्मांड को समझना और आसान हो जाएगा ।

             स्ट्रिंग थ्योरी का अध्ययन जितना पेचीदा है उतना ही इंटरेस्टिंग भी । मैंने अपने तरफ स आसान शब्दो मे स्ट्रिंग थ्योरी को समझाने की कोशिश की है ।
पढ़ने के लिये शुक्रिया
- Suraj K jaiswal

Wednesday 7 February 2018

Snakes are not our enemy (Hindi)

सर्प हमारे दुश्मन नही- Suraj


सर्प हमारे दुश्मन नही है बल्कि इसी पर्यावरण का एक अंग है । वो हमें कभी नुकसान पहुचाना नही चाहते है ना ही उनके पास इतना व्यर्थ का विष है जो हमारे अंदर प्रवाह करके बर्बाद करदे । 
पर हम इंसान खुद को उनका दुश्मन मानते है , उन्हें कोने से खोज के निकालते है और मार डालते है । कही इधर उधर स्थान बदलते भी वो दिख जाते है तो हमारी आँखों को नही जँचता और मार देते है । पर सत्य यह है कि कोई भी सर्प खुद इंसानो के आस पास नही आना चाहता है । 
         कई बार सर्प काटते हैं तो विष नहीं छौडते वैसे भी सर्प  अपनी विषग्रंथीयों को काबु में रखते हैं । सांपों के लिए विष निर्माण बहुत ही विशेष कार्य होता है और ये किमती भी होता है ईसलिए वो इसका प्रयोग बहुत किफायत से करते हैं वे काटते वक्त विष की मात्रा पर नियंत्रण रख सकते हैं । कई बार ज्यादा जहरीले सांप के काटने के बावजुद भी घाव में विष नहीं छोडते । सर्प का काटना कितना घातक होगा ये परिस्थिती पर निर्भर करता है सापं विष को युंही व्यर्थ नहीं करते।  सोखा औझा , तंत्र मंत्र से साप काटे के ठीक होने का यही रहस्य है । कोई तंत्र विद्या नही होती सर्पदंश को ठीक करने के लिए । यह निर्भर करता है साप कितना जहरीला है और कितना जहर आपके शरीर के अंदर प्रवाहित किया है । साप काटे तो बेहतर यही है कि नजदीक के चिकित्सा अस्पताल की और तुरंत जाए बजाय किसी झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ने के । एक बार फिर कहूंगा साप हमारें दुश्मन नही है , इसी पर्यावरण के अंग है, जिसमे हम रहतें है ।
…क्रमशः
written by- Suraj

Monday 5 February 2018

Valentine's day gift

वैलेंटाइन्स डे आने वाला है और यह महीना प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत ही खास होता है । गिफ्ट का लेने की सबमे होड़ लगी रहती है अपने अपने लवर्स को इम्प्रेस करने के लिए । ऐसे में आप भी ढूंढ रहे है ऐसे ही गिफ्ट आइडियाज अपनी प्रेमिका को इम्प्रेस करने के लिए तो यह पोस्ट आपके लिए ही है ।

गिफ्ट ऐसे होने चाहिए जो पर्सनल टच के साथ इमोसनल फीलिंग्स भी सहेजे हुए हो । तो आप भी कुछ ऐसा ही ढूंढ रहे है तो आपको जो वेबसाइट सजेस्ट करूँगा वो है www.oyehappy com

यहां आप अपनी बजट के हिसाब से सही गिफ्ट खरीद सकते है । आपकी बजट कम है या ज्यादा, आपकी जरूरत के हिसाब से यहां बहुत सारे आइडियाज अवेलेबल है । तो फिर देर किस बात की, करिये तैयारी फिर वैलेंटाइन्स डे की । (this is not a sponsor post)
Thanks for reading
Happy Valentine's day

Saturday 3 February 2018

Role of background music in movies.

क्या आपने कभी सोचा है कि फिल्मो में  बैकग्राउण्ड म्यूजिक का कितना बडा सीन होता है किसी भी सीन को जीवंत करने के लिए ? किसी सीन को बिना म्यूजिक के सुन के देखियेगा आपको समझ आ जायेगा वाकई में हम कहना क्या चाहते है । यहां उदाहरण के लिए एक वीडियो दिया जा रहा है, जिसमे पहले आपको बिना म्यूजिक के सुनाया जाएगा फिर म्यूज़िक के साथ और बाद में म्यूजिक चेंज करके ।


तो दोस्तो यहा हम बात करने वाले है ऐसे ही कुछ कलाकारों के बारे में जिन्होनें ने फिल्मो को म्यूजिक देकर फ़िल्म के सीन्स को जीवंत किया ।
तो यहां हमारे पास पहले नंबर है डॉन (DON) . अमिताभ बच्चन जी के इस फ़िल्म में बैकग्राउण्ड म्युजिक ने इतना अच्छा रोल अदा किया कि पुनः इस मूवी के रिमेक वर्सन में भी  वही सेम म्यूजिक डाला गया । इस आकर्षक म्यूजिक को देने वाले कलाकार काम नाम है 'कल्याण जी आनंद'

इसके बाद जो हमारे पास दूसरे नंबर पर नाम है वो है 1975 में रिलीज मूवी शोले (Sholay) . इस मूवी का हर किरदार स्वयं में इतना परफेक्ट है कि तारीफ के लब्ज़ नही रुकते । हर किरदार की तरह इस फ़िल्म में बैकग्राउन्ड म्युज़िक का भी बहुत योगदान रहा । और इस मूवी में बैकग्राउण्ड म्यूजिक को देने वाले शख्श का नाम है 'आर डी बर्मन' ।
इसके बाद जिस मूवी का नाम है हमारे पास वो है  1989 में रिलीज 'त्रिदेव ' । त्रिमूर्ति के सभी फिल्मों में खास बात ये होती है कि यह फ़िल्म अपने बैकग्राउंड म्यूजिक के नाम पर जाना जाता है । त्रिदेव मूवी में जिन्होंने अपना चमत्कारी म्यूजिक दिया है उनका नाम है 'विजू शाह' ।

इसके बाद जो आज की लिस्ट में अंतिम मूवी का नाम है वो है 'कर्ज' । यह नाम मन में आते ही म्यूजिक अपने आप मन मे बजने लगता है । वाकई में इस फ़िल्म का म्यूजिक बहुत आकर्षक है और इस आकर्षक म्यूजिक को देने वाले शख्स का नाम तो वैसे 'लक्ष्मीकांत प्यारेलाल' है पर इस म्यूजिक को क्रिएट करने का श्रेय जाता है 'गोरख शर्मा जी' को ।
तो दोस्तो ये थे कुछ कलाकार जो कुछ प्रसिद्ध फिल्मो में अपनी म्यूजिक देकर उन्हें जीवन्त किया । जल्द ही हम और भी ऐसे कुछ नाम ले कर आएंगे जो ऐसे ही अपनी प्रतिभा से फिल्मो में जान डाला पर कभी पर्दे पर नही रहे ।
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Thursday 4 January 2018

Happiness...

Talking with you rises million of feelings. For holding all that feelings, sometimes I ignore you.

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...