name='google-site-verification'/> Purple duniya: Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)

about us

Wednesday 14 March 2018

Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)

Stiphan Howking (स्टीफ़न  हॉकिंग)

उनके बारे में कहा जाता है कि उनके दिमाग ने इतना काम किया की शरीर ने काम करना बंद कर दिया | आज (१४/०३/२०१८) उस अद्भुत विज्ञानी ने हम सब का साथ छोड़ उस अद्भुत रहस्यमयी दुनिया में चला गया | 
stifan howkin 


ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है या नहीं, इस बारे में उनका कहना था कि अगर हमारी इस पृथ्वी पर जीवन अपने आप पनपा तो ब्रहमांड के उन अन्य ग्रहों में भी जीवन पनप सकता है, जहां जीवन के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होंगी। लेकिन, पिछली लगभग आधी सदी के दौरान हमारी सारी कोशिशों के बावजूद अब तक कहीं जीवन का पता नहीं लग पाया है। फिर भी, अगर कहीं एलियन हैं तो हमें उनसे सावधान रहना चाहिए। 
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)  बारे में कहा जाता है कि उनके दिमाग ने इतना काम किया की शरीर ने काम करना बंद कर दिया | आज  उस अद्भुत विज्ञानी ने हम सब का साथ छोड़ उस अद्भुत रहस्यमयी दुनिया में चला गया |

स्टीफन हॉकिंग का कहना था कि परग्रही सभ्यताओं को हमें अपना सुराग नहीं देना चाहिए क्योंकि वे अगर तकनीकी दृष्टि से हमसे कहीं अधिक उन्नत प्राणी हुए तो उनके कारण हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है।ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है या नहीं, इस बारे में उनका कहना था कि अगर हमारी इस पृथ्वी पर जीवन अपने आप पनपा तो ब्रहमांड के उन अन्य ग्रहों में भी जीवन पनप सकता है, जहां जीवन के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होंगी। लेकिन, पिछली लगभग आधी सदी के दौरान हमारी सारी कोशिशों के बावजूद अब तक कहीं जीवन का पता नहीं लग पाया है। फिर भी, अगर कहीं एलियन हैं तो हमें उनसे सावधान रहना चाहिए। 



हॉकिंग सोचते थे कि आगामी 20 वर्षों में तो वैज्ञानिकों को बुद्धिमान जीवों का पता लगने से रहा। लेकिन, यह भी सच है कि अंतरिक्ष में घूम रही केपलर दूरबीन ने अब तक 3,000 से अधिक बर्हिग्रहों का पता लगा लिया है। उसने जता दिया है कि हमारी अपनी आकाशगंगा में ही ऐसे अरबों ग्रह हो सकते हैं जिनमें जीवन का अस्तित्व हो सकता है। हॉकिंग का कहना था कि जितना ब्रह्मांड हम देख पा रहे हैं, उसी में हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की तरह कम से कम 100 अरब मंदाकिनियां होंगी। इसका साफ मतलब है कि हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं है। फिर भी हमें यही आशा करनी चाहिए कि बुद्धिमान एलियन हम तक न पहुंच पाएं क्योंकि उनसे मानव सभ्यता को भारी खतरा हो सकता है। 
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)


     स्टीफ़न हॉकिंग का जन्म ८ जनवरी १९४२ को फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में हुआ।    Stephen Hawking आज इतने महान ब्रह्मांड विज्ञानी थे , उनका स्कूली जीवन बहुत उत्कृष्ट नहीं था| वे शुरू में अपनी कक्षा में औसत से कम अंक पाने वाले छात्र थे, किन्तु उन्हें बोर्ड गेम खेलना अच्छा लगता था| उन्हें गणित में बहुत दिलचस्पी थी, यहाँ तक कि उन्होंने गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए कुछ लोगों की मदद से पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हिस्सों से कंप्यूटर बना दिया था| ग्यारह वर्ष की उम्र में स्टीफन, स्कूल गए और उसके बाद यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड गए| स्टीफन गणित का अध्ययन करना चाहते थे लेकिन यूनिवर्सिटी कॉलेज में गणित  उपलब्ध नहीं थी, इसलिए उन्होंने भौतिकी अपनाई। स्टीफन हॉकिंग एक मेधावी छात्र थे, इसलिए स्कूल और कॉलेज में हमेशा अव्वल आते रहे। तीन सालों में ही उन्हें प्रकृति विज्ञान में प्रथम श्रेणी की ऑनर्स की डिग्री मिली। जो कि उनके पिता के लिए किसी ख्वाब के पूरा होने से कम नहीं था। गणित को प्रिय विषय मानने वाले स्टीफन हॉकिंग में बड़े होकर अंतरिक्ष-विज्ञान में एक ख़ास रुचि जगी। यही वजह थी कि जब वे महज 20 वर्ष के थे, कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय में रिसर्च के लिए चुन लिए गए। ऑक्सफोर्ड में कोई भी ब्रह्मांड विज्ञान में काम नहीं कर रहा था उन्होंने इसमें शोध करने की ठानी और सीधे पहुंच गए कैम्ब्रिज। वहां उन्होंने कॉस्मोलॉजी यानी ब्रह्मांड विज्ञान में शोध किया। इसी विषय में उन्होंने पीएच.डी. भी की। अपनी पीएच.डी. करने के बाद जॉनविले और क्यूस कॉलेज के पहले रिचर्स फैलो और फिर बाद में प्रोफेशनल फैलो बने। यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन हॉकिंग ने वही किया जो वे चाहते थे। संयुक्त परिवार में भरोसा रखने वाले हॉकिंग आज भी अपने तीन बच्चों और एक पोते के साथ रहते हैं। स्टीफन के अंदर एक ग्रेट साइंटिस्ट की क्वालिटी बचपन से ही दिखाई देने लगी थी। दरअसल, किसी भी चीज़ के निर्माण और उसकी कार्य-प्रणाली को लेकर उनके अंदर तीव्र जिज्ञासा रहती थी। यही वजह थी कि जब वे स्कूल में थे, तो उनके सभी सहपाठी और टीचर उन्हें प्यार से 'आइंस्टाइन' कहकर बुलाते थे। 



जब वो 21 साल के थे तो एक बार छुट्टिय मानाने के मानाने के लिए अपने घर पर आये हुए थे , वो सीढ़ी से उतर रहे थे की तभी उन्हें बेहोशी का एहसास हुआ और वो तुरंत ही नीचे गिर पड़े।उन्हें डॉक्टर के पास ले जायेगा शुरू में तो सब ने उसे मात्र एक कमजोरी के कारण हुई घटना मानी पर बार-बार ऐसा होने पर उन्हें बड़े डोक्टरो के पास ले जाया गया , जहाँ ये पता लगा कि वो एक अनजान और कभी न ठीक होने वाली बीमारी से ग्रस्त है जिसका नाम है न्यूरॉन मोर्टार डीसीस ।इस बीमारी में शारीर के सारे अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है।और अंत में श्वास नली भी बंद हो जाने से मरीज घुट घुट के मर जाता है। डॉक्टरों ने कहा हॉकिंग बस 2 साल के मेहमान है। लेकिन हॉकिंग ने अपनी इच्छा शक्ति पर पूरी पकड़ बना ली थी और उन्होंने कहा की मैं 2 नहीं २० नहीं पूरे ५० सालो तक जियूँगा । उस समय सबने उन्हें दिलासा देने के लिए हाँ में हाँ मिला दी थी, पर आज दुनिया जानती है की हॉकिंग ने जो कहा वो कर के दिखाया । अपनी इसी बीमारी के बीच में ही उन्होंने अपनी पीएचडीपूरी की और अपनी प्रेमिका जेन वाइल्ड से विवाह किया तब तक हॉकिंग का पूरा दाहिना हिस्सा ख़राब हो चूका था वो stick के सहारे चलते थे । अब हॉकिंग ने अपने वैज्ञानिक जीवन का सफ़र शुरू किया और धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी।
रोग से पीड़ित होने के बावजूद भी वो किसी का सहारा नही लेते थे और अपने दैनिक कामो को निरंतर रखा | 1974  में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिलने के बाद आपेक्षिता का सिद्धांत और पुंज सिद्धांत पर काम करना शुरू कर दिया था | इस तरह इन दोनों सिद्धांतो को मिलाकर उन्होंने महाएकीकृत सिद्धांत बनाया था | उनके इस सिद्धांत से दुनिया भर में उनका नाम हो गया और उनको एक प्रख्यात वैज्ञानिक के रूप में जाना जाने लगा |
Stiphan Howking (स्टीफ़न विलियम हॉकिंग)
 वे कहते हैं अगर आप विकलांग हैं या अपंग हैंतो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, और साथ ही दुनिया को दोष देने या अपने ऊपर किसी दया की उम्मीद करना सही नहीं है। बस आपके भीतर सकारात्मक विचार होने चाहिए और स्तिथि के अनुसार जितना हो सके अपना अच्छा योगदान देना चाहिए; अगर एक मनुष्य अपंग है तो उसे अपने मन से अपंग या विकलांग नहीं होना चाहिए। मेरे ख्याल से, उन्हें ऐसी गतिविधियोँ में ध्यान देना चाहिए जिससे की एक शारीरिक विकलांगता वाले व्यक्ति के लिए और भी गंभीर बाधा न उपस्थित हो सके। मुझे डर लगता है विकलांगों के लिए खेला जाने वाला ओलोम्पिक मेरे से अपील तो नहीं करगा, पर यह मेरे लिए कहना आसान होगा क्योंकि मुझे एथलेटिक्स पसंद नहीं है। दूसरी ओर देखें तो विज्ञान बहुत ही अच्छा विषय है क्योंकि यह दिमाग का खेल है। बिलकुल सही है यह बात क्योंकि बहुत सारे आविष्कारों से कुछ लोगों नें कमल कर दिया है लेकिन सैद्धांतिक काम लगभग आदर्श है। मेरी विकलांगता नें मेरे कार्य क्षेत्र में कोई बाधा नहीं दिया है जो की है सैद्धांतिक भौतिकी। बल्कि इससे मुझे मदद मिली है मेरे भाषण और प्रशासनिक कार्य पर परिरक्षण करने के लिए। मैं यह सब संभाल पाया , मेरी पत्नी, बच्चे, सहयोगी और छात्रों से ढेर सारे मदद के कारण। मैंने देखा साधारण रूप से लोग मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, पर आपको उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिए की वे महसूस करें कि उनके द्वारा किये गए प्रयास उचित और उपयुक्त साबित होंगे।


No comments:

Post a Comment

How was this post friends? We hope it was helpful for you. So please give your response and share this post to your friends and relatives. Thanks for reading.

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...