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Thursday 26 January 2017

एक दिन की देशभक्ति

#आज_की_देशभक्ति_का_फायदा_उठाते_हैं

मित्रो जो ये एक दिन की देशभक्ति जाग्रत हुयी है या आग पकड़ी है, ना ना मै आपकी देशभक्ति पे सवाल नही कर रहा मै स्वयं ही एक ही दिन का देशभक्त हु । पता नही मेरी देशभक्ति बाकी दिन कहाँ सो जाती है । मै तो ये कह रहा था कि ये जो आज देशभक्ति का दिन आया है ये बहुत ही लाजवाब समय पर आया । अगर आज आप इस एक दिन की देशभक्ति का फायदा ले सके तो आपको पुरे ५ साल अपने इस एक दिन की देशभक्ति पे नाज़ होगा । अरे नहीं ! पाँच साल ही नही जीवन पर्यन्त हो सकता है ।
      तो आपका आजके देशभक्ति का फायदा लेने के लिए करना क्या है ? करना बस इतना है कि देश के पाँच राज्यों में चुनाव का माहौल चल रहा है । आज आप सबसे बेहतर विश्लेषण कर सकते है कि वोट किसे देना है । क्योंकि आज आप एक देशभक्त के नजरिये से सोचेंगे ना की जातिवादी या सांप्रदायिक नजरिये से । तो आपको करना ये है कि सभी पार्टियों , कैंडिडेट्स के कार्यो को शांत मन से परखे । किस सरकार ने कितना देश हित में कार्य किया , किसने सेना के लिए किसने किसानों के लिए अच्छा कार्य किया और सबसे महत्वपूर्ण विज्ञान और धर्म के लिए कितना कार्य किया गया ।
        सच दोस्तों आज जो आप निर्णय लेंगे वो आपको अगले पांच साल तक आपका साथ देगी।  आज आपका नजरिया भगत सिंह का होगा, आज आपका नजरिया वीर सावरकर का होगा, आज आपका नजरिया रानी लक्ष्मीबाई का होगा , आज आपका नजरिया देशभक्त का होगा ।
जय हिन्द
जय हिंदी
वंदे मातरम

©कबीरा
देवरिया

Thursday 12 January 2017

शायर की रातें

यादों की बरसात लिए
एक लंबी सी रात लिए
कुछ याद कर
कुछ भुला कर
कुछ अजीब सा पिए जाता है
ज़ख्मो को कुरेदता है
अकेला रोता है
खुशियो को बांट देता है
ग़म छिपा लेता है
आधी रात को
शहर की खामोशी में
चंद लब्ज़ वो सुनता है
जो उभरती है
उसके अंतर्मन से कही
अलमारी के कोने में पड़ी
अपनी छिपाई हुई डायरी में
कुछ लिखता है
अपनी सिसकियों से
शहर की खामोशी में
कोई खलल डाले बगैर
कोरे पन्नो पे रो लेता है
वो जो होता है
थोड़ा सा अजीब होता है
ये शायरों की रातें होती है
कहाँ सभी को नशीब होता है
कबीरा
१२-०१-२०१७
१२:४५

वो पागल शायर

देर रात तलक सोता रहा वो शायर
उठा नही वो आज आधी रात को
अलमारी के कोने में पड़ी
डायरी इंतज़ार करती रही
सोच रही थी , अभी आयेगा
वो पागल शायर, कुछ ग़म
अपने मुझसे बांटेगा
कुछ मुस्कुराएगा
वो पागल शायर
गुजरती रही घडी
पहर पर पहर
पर शायर को ख्याल
जरा ना आया डायरी का
दो चार बार आवाज़ भी लगाया
पर कोई जवाब नही आया
डायरी बस इंतज़ार करती रही
मिनट घंटे पहर और सुबह हो गयी
कुछ शोर सुन
झपकती आँखों को खोला
अलमारी के छेद से बाहर झाँका
कुछ लोग गोल घेरे में बैठे थे
सफ़ेद लिबाज़ पहने, वही बिच में
सफ़ेद लिबाज़ ओढ़े सोया था
वो पागल शायर

-कबीरा
१३-०१-२०१७
००:३५

Sunday 1 January 2017

बचपन तू एक बार बुला ले..

तो लौट आऊँ मै फिर से
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले
और ना जाऊंगा दूर मै
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

खेलेंगे फिर से हम छुप्पन छिपाई
दौड़ेंगे फिर से हम दे राम दुहाई
धूल में मुझे वो एक प्यार दिखा दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

दादी ने क्या आज कहानी सुनाई
राजा रानी की फिर शादी करायी
माँ की फिर से वो लोरी सुना दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

कुछ खट्टी सी फिर हम खाएंगे
कोई मीठी सी गीत गुनगुनायेंगे
वो यारो की एक टोली बना दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

पापा जब शाम को घर आएंगे
मुझे गोदी उठा के कही घुमाएंगे
माँ की नींदों में एक बार सुला दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले
कबीरा

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...