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Tuesday 14 February 2017

Story of my valentine

वैलेंटाइन स्पेशल
कहानी #मेरे_वैलेंटाइन की - रागिनी
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उस रात तेज़ बारिश हो रही थी । आसमान में चमकते बिजली ऐसे लग रहे थे जैसे अभी शरीर के आर पार हो जायेंगे । ऊपर से तेज हवाएं रूह तक को कंपा दे रही थी । बादलो की वो गड़गड़ाहट ऐसा लग रहा था कोई चीख चीख के मुझे बुला रहा हो ।
   ऐसा पहली बार नहीं हुआ था । ऐसी तेज हवाएं , बिजली का चमकना , तेज बारिश अक्सर होती रहती है । पर उस दिन जाने क्या अलग था उस तेज़ हवाओ से खिड़कियों को खुलते बंद होते देखने में । मन सहमा हुआ था । क्यों ?नही पता था । कुछ अनिष्ट होने वाला था । पर फिर भी मन को यह कह के फुसला ले रहा था कि ये तो अक्सर का काम है । कुछ नया नही हो रहा । वही बिजली का चमकना , हवा... तभी जोड़ से बिजली चमकी और एक तेज गड़गड़ाहट हुई । मै डर गया । सहम गया ।
  खिड़की के पास बैठ गया और बाहर दिख रहे प्रकोप के डर को महसूस करने लगा । तेज़ बिजली चमकती बाहर पूरा उजाला हो जाता । सब कुछ स्पष्ट देख सकता था । फिर से वही गुप् अँधेरा । और इस अँधेरे में मै अकेला खुद भी ग़ुम हो जाता था । बिजली के चमक से बाहर पानी की बूंदों की उछल कूद की अफरा तफरी देख रहा था । ऐसा लग रहा था वो कुछ कह रही हो । पर मैं नासमझों की तरह उन्हें देख रहा था । बिजली के गड़गड़ाहट को बड़े ध्यान से सुन रहा था । डर तो बहुत लग रहा था उस गड़गड़ाहट के आवाज से । पर शायद उसमे कोई राज़ छिपी थी आज बस उसे ही सुनना चाहता था । वही खिड़की के पास बैठ के उस राज़ को समझते समझते आँख लगी पता नही चला ।
  
सुबह सूरज की किरणे आँखों पे पड़ी तो नींद खुली  । वही खिड़की पे ही सर रख के सो गया था रात को । अभी बाहर सब सामान्य था । कुछ डरावना नही था । कोई बिजली की गड़गड़ाहट नही थी कोई बारिश नही।  पर कुछ रहस्यमय अब भी था , जाने क्या !

    तभी दिमाग में घंटी बजी और याद आया अरे आज दोस्तों के साथ घूमने जाना है । चल जल्दी तैयार हो जाता हु । मै रेडी हुआ और तय स्थान पे पंहुचा । वहा सब मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे । और इन सब के बीच सबसे ज्यादा बेसब्र थी वो दो आँखें जिन्हें ना देखु तो मेरा दिन ना ढले । जो मुझे ना देखे तो मेरा नजर आया व्यर्थ लगे । उन आँखों में एक दुनिया थी  जिसमे बसने का स्वप्न देखा करता था । वो आँखे दिखने में हिरनी जैसी थी या नही , मुझे नही पता । मै बस उन आँखों में अपना पूरा प्रतिविम्ब देख सकता था ।
  
  एक मधुर सी आवाज सुनाई दिया 'बहुत देर कर दिया , लगता है हमारे शायर जी आज कल अपनी ग़ज़लों में ही अपनी दुनिया बसा लिए है' । यह व्यग्य ! आह ! कितना सुकून मिलता है इस खूबसूरत आवाज़ को सुनकर , जैसे कोई धीरे से रागिनी बजी हो । हा रागिनी । इस रागिनी को सुनकर मै सुधबुध खो देता । मेरी आवाज ,मेरी दुनिया , मेरी निगाहें , मेरा अनुभव बस उसी रागिनी में खो जाता । मै उस आवाज को सुनकर, उन आँखों में अपना प्रतिविम्ब देखकर पूरी जिंदगी बिता दू ।
   
   अब सब निकले वहा से आगे की ट्रिप के लिए बाइक से । मैंने अपनी बाइक रितेश को दे दी और मै रागिनी की बाइक लिया, रागिनी पीछे बैठी । धीरे धीरे सफर आगे बढ़ रहा था । शुष्क ठंडी में बाइक पर बैठ के घूमने आ अनुभव की बहुत सुंदर होता है । और यह सुन्दर सफर और भी ज्यादा खूबसूरत हो गया था क्योकि साथ मेरे रागिनी थी । कितना खूबसूरत एहसास था , मै बाइक चला रहा था, रागिनी बैठी थी ।  दिल कर रहा था कि ये सफर ख़त्म ही ना हो । मेरी दुनिया, मेरी जिंदगी, मेरा प्यार मेरे हर कदम साथ हो और क्या चाहिए । सुख हो दुःख हो , गर कुछ हो संग तो बस तुम हो ।
  
मै इन्ही ख्यालों में खोया था । तभी मयंक ने मुह चिढ़ाते मेरे आगे निकला । मैने भी जोश में अपनी स्पीड बढ़ा दी । तभी रितेश की बाइक ,फिर दिनेश की बाइक आगे निकली । मैंने भी ये भूल कर की स्कूटी पे बैठा हू , स्पीड और तेज़ कर दी । रागिनी मुझे मना करने लगी । शायद वो डरने लगी थी । मैंने उसे चिढ़ाता हुआ बोला ,' आज तुम्हे स्पीड दिखाता हु क्या चीज होती है ।' रागिनी मना करती रही , मै स्पीड बढ़ाता गया । थोड़ी और जोश में आया और अब बाइक दाये बाए काट काट कर चलाने लगा । मै जोश में ये भूल गया था कि अब बाइक मेरे कण्ट्रोल से बाहर हो चुकी है । और फिर वो घडी आयी जो मेरे जीवन में अंधकार कर गयी । अचानक से एक मोड़ आया । और सामने से आ रही ट्रक को समझ नही पाया। बाइक मेरे कण्ट्रोल से बाहर हो चुकी थी । वो सीधा ट्रक के पहिए की और बढे जा रही थी । पूरी स्पीड में । मै मौत को डबल स्पीड में अपने पास आते हुए महसूस कर सकता था । मै हक्का बक्का रह गया । वो छण मैंने ट्रक के पहिए को ठीक आँखों के सामने देखा था । फिर अचानक मुझे एक जोर का धक्का लगा और मै सड़क के किनारे लुढ़क गया । वो रागिनी के हाथों का आखिरी स्पर्श था । मैंने अपनी बंद हो रही आँखों से रागिनी को आखिरी बार देखा । ट्रॅक बाइक समेत रागिनी को रौंदते आगे बढे जा रहा था । उसके अंगों को चींटी की तरह सड़क पे मसले जा रहा था । उसके एक एक अंग चटक कर अलग हो रहे थे । मेरे आँखों के आगे अँधेरा हुए जा रहा था । जब कुछ दिखना बंद हो रहा था । मैंने अपनी बंद हो चुकी आँखों के किनारे से धुंधला सा देखा था , ट्रॅक का पहिया रागिनी के सिर पर होते हुए उसकी उन आँखों को मसलता हुआ निकला निकला जिनमे मै अपना प्रतिविम्ब देखता था । जब हर तरह अँधेरा हो गया तो आखिरी बार मैंने रागिनी की आवाज सुनी । उस आवाज़ में वो रागिनी की धुन नही थी । एक करुण पुकार थी, एक दर्द थी जो कुछ कह रही थी... हा मै जानता हूं वो क्या कह रही थी । वो उस रहस्य को बता रही थी जो कल रात मैंने महसूस किया था । उसके वो आखिरी लब्ज़... उसमे छिपा रहस्य... जो सिर्फ मै समझ सका था ।
     जब मुझे होश आया मै हॉस्पिटल के बेड पे लेटा हुआ था और मेरे सभी अपने मुझे घेरे हुए थे , सिवाय एक के... मेरे मुंह से पहला लब्ज़ निकला  'रागिनी' । हर तरफ सन्नाटा पसरा था । ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा ग्रह मेरी छोटी सी दुनिया से आकर टकरा गया , और मेरी दुनिया के दो टुकड़े करके अलग अलग दिशाओं में उछाल दिया । एक टुकड़े पे मै रह गया, एक टुकड़े पे रागिनी...

Saturday 11 February 2017

Valentine's day

देश काल परिस्थिति अनुसार नियम , मान्यताये बदलती रहती है । कोई 1400 साल पहले बने नियमो को हर समय लागु नही किया जा सकता ।
  एक समय था जब विवाह करना असामाजिक माना जाता था (यूरोपीय देशों में) । धीरे - धीरे मान्यता बदली और विवाह करना समाज का एक जरुरी अंग बन गया । अन्यथा ये समाज ऐसी भी परिस्थिति देखी है जब महिलाये सिर्फ मनोरंजन का साधन हुआ करती थी । समय समय यह मनोरंजन की चीज को बदल लिया जाता था । तब विवाह जैसी महान विचारो को असामाजिक कह के किनारे कर दिया जाता था क्योंकि तब पुरुषों के अनुकूल नही हुआ करती थी यह प्रथा । धीरे धीरे समय परिवर्तन हुआ लोगो का सोच बदला और जन्म लिया Valentine's day .

जय श्री कृष्णा

Thursday 26 January 2017

एक दिन की देशभक्ति

#आज_की_देशभक्ति_का_फायदा_उठाते_हैं

मित्रो जो ये एक दिन की देशभक्ति जाग्रत हुयी है या आग पकड़ी है, ना ना मै आपकी देशभक्ति पे सवाल नही कर रहा मै स्वयं ही एक ही दिन का देशभक्त हु । पता नही मेरी देशभक्ति बाकी दिन कहाँ सो जाती है । मै तो ये कह रहा था कि ये जो आज देशभक्ति का दिन आया है ये बहुत ही लाजवाब समय पर आया । अगर आज आप इस एक दिन की देशभक्ति का फायदा ले सके तो आपको पुरे ५ साल अपने इस एक दिन की देशभक्ति पे नाज़ होगा । अरे नहीं ! पाँच साल ही नही जीवन पर्यन्त हो सकता है ।
      तो आपका आजके देशभक्ति का फायदा लेने के लिए करना क्या है ? करना बस इतना है कि देश के पाँच राज्यों में चुनाव का माहौल चल रहा है । आज आप सबसे बेहतर विश्लेषण कर सकते है कि वोट किसे देना है । क्योंकि आज आप एक देशभक्त के नजरिये से सोचेंगे ना की जातिवादी या सांप्रदायिक नजरिये से । तो आपको करना ये है कि सभी पार्टियों , कैंडिडेट्स के कार्यो को शांत मन से परखे । किस सरकार ने कितना देश हित में कार्य किया , किसने सेना के लिए किसने किसानों के लिए अच्छा कार्य किया और सबसे महत्वपूर्ण विज्ञान और धर्म के लिए कितना कार्य किया गया ।
        सच दोस्तों आज जो आप निर्णय लेंगे वो आपको अगले पांच साल तक आपका साथ देगी।  आज आपका नजरिया भगत सिंह का होगा, आज आपका नजरिया वीर सावरकर का होगा, आज आपका नजरिया रानी लक्ष्मीबाई का होगा , आज आपका नजरिया देशभक्त का होगा ।
जय हिन्द
जय हिंदी
वंदे मातरम

©कबीरा
देवरिया

Thursday 12 January 2017

शायर की रातें

यादों की बरसात लिए
एक लंबी सी रात लिए
कुछ याद कर
कुछ भुला कर
कुछ अजीब सा पिए जाता है
ज़ख्मो को कुरेदता है
अकेला रोता है
खुशियो को बांट देता है
ग़म छिपा लेता है
आधी रात को
शहर की खामोशी में
चंद लब्ज़ वो सुनता है
जो उभरती है
उसके अंतर्मन से कही
अलमारी के कोने में पड़ी
अपनी छिपाई हुई डायरी में
कुछ लिखता है
अपनी सिसकियों से
शहर की खामोशी में
कोई खलल डाले बगैर
कोरे पन्नो पे रो लेता है
वो जो होता है
थोड़ा सा अजीब होता है
ये शायरों की रातें होती है
कहाँ सभी को नशीब होता है
कबीरा
१२-०१-२०१७
१२:४५

वो पागल शायर

देर रात तलक सोता रहा वो शायर
उठा नही वो आज आधी रात को
अलमारी के कोने में पड़ी
डायरी इंतज़ार करती रही
सोच रही थी , अभी आयेगा
वो पागल शायर, कुछ ग़म
अपने मुझसे बांटेगा
कुछ मुस्कुराएगा
वो पागल शायर
गुजरती रही घडी
पहर पर पहर
पर शायर को ख्याल
जरा ना आया डायरी का
दो चार बार आवाज़ भी लगाया
पर कोई जवाब नही आया
डायरी बस इंतज़ार करती रही
मिनट घंटे पहर और सुबह हो गयी
कुछ शोर सुन
झपकती आँखों को खोला
अलमारी के छेद से बाहर झाँका
कुछ लोग गोल घेरे में बैठे थे
सफ़ेद लिबाज़ पहने, वही बिच में
सफ़ेद लिबाज़ ओढ़े सोया था
वो पागल शायर

-कबीरा
१३-०१-२०१७
००:३५

Sunday 1 January 2017

बचपन तू एक बार बुला ले..

तो लौट आऊँ मै फिर से
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले
और ना जाऊंगा दूर मै
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

खेलेंगे फिर से हम छुप्पन छिपाई
दौड़ेंगे फिर से हम दे राम दुहाई
धूल में मुझे वो एक प्यार दिखा दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

दादी ने क्या आज कहानी सुनाई
राजा रानी की फिर शादी करायी
माँ की फिर से वो लोरी सुना दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

कुछ खट्टी सी फिर हम खाएंगे
कोई मीठी सी गीत गुनगुनायेंगे
वो यारो की एक टोली बना दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले

पापा जब शाम को घर आएंगे
मुझे गोदी उठा के कही घुमाएंगे
माँ की नींदों में एक बार सुला दे
मेरे बचपन तू एक बार बुला ले
कबीरा

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...