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Sunday 31 March 2019

काँच की दुनिया - सूरज जायसवाल कबीरा

काँच की दुनिया

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बचपन में हिंदी के किताब में पढ़ा था कि ये दुनिया काँच के समान है । जैसा हम इस दुनिया से व्यवहार करेंगें वही व्यवहार हम भी पायेंगें । यदि हम किसी से कटुता घृणात्मक व्यौहार करेंगे तो वो भी हमारें साथ वैसा ही व्यौहार करेगा ।

लेखक ने बाकयदा एक काँच के महल का उदाहरण भी पेश किया था । हुआ ऐसा कि एक दिन एक भटकता हुआ कुत्ता उस कांच के महल में घुस आया । अपने आस पास लगें काँच में उसे अपनी प्रतिविम्ब दिखाई दी । उसे लगा उसके आस पास बहुत ढेर सारे कुत्तें है ।इतने कुत्तें देख वो खिसिया गया और भौकने लगा । जब वो भौका तो उसके प्रतिबिम्ब भी भौकें । अब वो और खिसिया गया । काँच के दीवालों पे कूदने लगा उन कुत्तों को काटने के लिए पर वो तो प्रतिविम्ब थी । थोड़ी देर में वो बेहोश हो गया भौकते भौकते ।
काँच की दुनिया

 
उसी महल में थोड़ी देर बाद एक और कुत्ता आया । उसे भी अपने आस पास ढेर सारें कुत्तें दिखें । पर वो खिसिया नही बल्कि दुम हिलाने लगा । सभी प्रतिविम्ब ने भी वही प्रतिक्रिया दी । सब दुम हिलाने लगें । कुत्तें को ये पसन्द आया और वो उनके साथ खेलने लगा । और बाद में ख़ुशी ख़ुशी लौट गया ।

लेखक ने एक काँच के महल को उदाहरण बना कर समझें कि पूरी दुनिया को ही परिभाषित कर दिया । पर ऐसा कुछ नही हुआ । अगर दुनिया ऐसे एक महल को उदाहरण दे देने से काँच की हो जाती तो दुनिया से दुःख नाम का शब्द ही मिट जाता । लोग अच्छी प्रतिक्रिया पाने के लिए अच्छा करतें । किसी के साथ कोई बुरा नही होता ।

मै बताता हूं उसके बाद क्या हुआ होगा जब वो कुत्ता बाहर गया होगा ?

जैसे ही कुत्ता महल के दरवाजे से निकला महल के मालिक की नजर उसपे पड़ी । गुस्से में उस कुत्तें के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर फेका । इससे कुत्ते का एक पैर फ्रेक्चर होगया । फिर भी वो भागा और वो आदमी दौड़ाता रहा । तब तक सड़क पे घूम रहे कुछ आवारा लड़को की नजर उस पे पड़ी । वो सब भी कुत्तें को दौड़ाने लगें । मालिक ने कहा कि गाँव से बाहर फेक आओ इस कुत्तें को और वो लौट गया अपने महल । आवारा लड़को की तो मौज हो गयी । ईंट पत्थर मार मार भगा आये उसे गाँव से दूर किसी और गाँव में और लौट गए ।

कुत्तें ने चैन की साँस ली और अपने घावों को चाटने लगा । तभी उसे कुछ कुत्तों के भौकने की आवाज सुनाई दी । उसने देखा कुछ कुत्तें तेजी से भौकते हुए उसकी और चलें आ रहें है । वो पहले तो डर गया पर उसे महल वाली बात याद आयी कि कैसे उसने दुम हिलाया था तो सब दुम हिलाने लगें थे । वो दुम हिलाने लगा । पर ये क्या उसके दुम हिलाने के बावजूद भी सब अभी भी उसकी ओर भौकते चलें आ रहे थे । वो कुत्ता कुछ समझ पाता उससे पहले सभी कुत्ते उस आधे ज़ख़्मी कुत्तें पर झपट पड़े । उसके मांस के चिथड़े करने लगे । वो कुत्ता चिल्लाता रहा । जान बखसने की दुहाई देता रहा । पर वो कुत्तें उसकी एक ना सुनें और उसके अंगों को नोचतें रहें । और नोचतें रहे । एक एक अंग उसके चिथड़े चिथड़े कर दिए जब तक की उसके प्राण पखेरू ना उड़ गए...
ये थी उस कुत्तें की कहानी जो हर जगह प्यार पाने के लिए सबसे प्यार करना चाहता था । उसके अगले एपिसोड में पढ़े उस कुत्तें के साथ क्या हुआ जो महल  में बेहोश पड़ा था ।
©कबीरा

Thursday 7 March 2019

International women's day! - Suraj Jaiswal kabira

International_women's_day!
मुख्यतः तीन तरह की महिलाएं अभी देश मे मौजूद है । 

1- ऐसी महिलाये जो आज भी जानवरो की तरह जिंदगी जीती है । जिन्हें सामाजिक और कुछ धार्मिक भी नियमो बंधनो में बांध कर उन्हें बस्तुओं की तरह प्रयोग किया जाता है । आज भी उन्हें बुरखे से निकलने की आज़ादी नही, घूंघट हटाने की आज़ादी नही ।


2- क्योकि कुछ समाज मे औरतें बहुत उपेक्षित थी तो कुछ समझदार पुरुषों ने और बहादुर महिलाओं ने मिल कर इनके हक़ के लिए लड़ाई लड़े । शहीद भी हुए, सफल भी हुए । ये वीरांगनायें विज्ञान के क्षेत्र में, खेल के क्षेत्र में , संगीत के क्षेत्र में और भी अनेको अच्छे क्षेत्र में पुरुषों से सिर्फ कंधा ही नही मिलाया, बल्कि उनसे आगे भी निकली । हम इनके ज़ज़्बे को सलाम करते है।

3- और अब आती हैं , इस लिस्ट की सबसे खास महिलायें(?)। इन्हें आम तौर पर आज कल की  फेमिनिस्ट महिला कहा जाता है । इन्होंने ने भी महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ी पर सामाजिक बुराइयों से नही, बल्कि उन बुराइयों को अपनाने के लिए पुरुषों से लड़ी ।
InteranIntern women's day! Feminist

जो हक़ इनको मिला था, कल्पना चावला बनने के लिए, जो हक़ इनको मिला था लता मंगेश्कर बनने के लिए, जो हक़ इनको मिला था जानवर की जिंदगी से उठकर इंसान बनने के लिए उस हक़ इन्होंने हर प्रकार से प्रयोग किया , खुले में सिगरेट पीने के लिए, बिना टी शर्ट-ब्रा के सड़क पर घूमने के लिए और सोशल साइट पर 'All men are Dog' लिखने के लिए ।
 आम तौर पर ये महिलाएं सिर्फ अंग्रेजी में बात करती हुई मिलेंगीं । और इनकी सबसे बड़ी पहचान ये होती है कि ये सोशल मीडिया पर ये कहती हुई मिल जाएंगी  'All men are Dog.'  इनकी नज़र में हर पुरुष बलात्कारी होता है।  इनकी आखिरी और पहली ख़्वाशिस होती है, ' धरती से पुरुष विलुप्त हो जाये।' 

बस कबीरा मान जा

-कबीरा

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...