International_women's_day!
मुख्यतः तीन तरह की महिलाएं अभी देश मे मौजूद है ।
1- ऐसी महिलाये जो आज भी जानवरो की तरह जिंदगी जीती है । जिन्हें सामाजिक और कुछ धार्मिक भी नियमो बंधनो में बांध कर उन्हें बस्तुओं की तरह प्रयोग किया जाता है । आज भी उन्हें बुरखे से निकलने की आज़ादी नही, घूंघट हटाने की आज़ादी नही ।
2- क्योकि कुछ समाज मे औरतें बहुत उपेक्षित थी तो कुछ समझदार पुरुषों ने और बहादुर महिलाओं ने मिल कर इनके हक़ के लिए लड़ाई लड़े । शहीद भी हुए, सफल भी हुए । ये वीरांगनायें विज्ञान के क्षेत्र में, खेल के क्षेत्र में , संगीत के क्षेत्र में और भी अनेको अच्छे क्षेत्र में पुरुषों से सिर्फ कंधा ही नही मिलाया, बल्कि उनसे आगे भी निकली । हम इनके ज़ज़्बे को सलाम करते है।
3- और अब आती हैं , इस लिस्ट की सबसे खास महिलायें(?)। इन्हें आम तौर पर आज कल की फेमिनिस्ट महिला कहा जाता है । इन्होंने ने भी महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ी पर सामाजिक बुराइयों से नही, बल्कि उन बुराइयों को अपनाने के लिए पुरुषों से लड़ी ।
InteranIntern women's day! Feminist |
जो हक़ इनको मिला था, कल्पना चावला बनने के लिए, जो हक़ इनको मिला था लता मंगेश्कर बनने के लिए, जो हक़ इनको मिला था जानवर की जिंदगी से उठकर इंसान बनने के लिए उस हक़ इन्होंने हर प्रकार से प्रयोग किया , खुले में सिगरेट पीने के लिए, बिना टी शर्ट-ब्रा के सड़क पर घूमने के लिए और सोशल साइट पर 'All men are Dog' लिखने के लिए ।
आम तौर पर ये महिलाएं सिर्फ अंग्रेजी में बात करती हुई मिलेंगीं । और इनकी सबसे बड़ी पहचान ये होती है कि ये सोशल मीडिया पर ये कहती हुई मिल जाएंगी 'All men are Dog.' इनकी नज़र में हर पुरुष बलात्कारी होता है। इनकी आखिरी और पहली ख़्वाशिस होती है, ' धरती से पुरुष विलुप्त हो जाये।'
बस कबीरा मान जा
-कबीरा
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