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Monday 7 October 2019

Beautiful memory of my first love. A short story by Suraj Jaiswal Kabira (Hindi)

मैं कक्षा 8वी में था जब एक बहुत ही सुंदर लड़की के साथ प्रेम संबंध में था। उसकी सुंदरता की कल्पना करता हु तो उसके बाद मेरे जीवन में आये कई प्रेमिकाओं में से किसी मे वो सुंदरता नजर नही आती। सुंदरता सिर्फ शरीर का ही नही, उसके साथ रहें मेरे पवित्र सम्बन्ध में भी था। यदि आप प्रेम संबंध में शारीरिक संबंध को महत्व देते हैं तो आप हमारे इस रिश्तें को प्रेम संबंध ना कहकर सिर्फ दोस्ती ही नाम दे, क्योकि मैंने पहले ही कहा कि यह रिश्ता बहुत पवित्र था, क्योकि उस बाल्यावस्था में सिर्फ उसका साथ होना ही हृदय को पुलकित कर देता था। स्कूल में सबसे पहले पहुचना, और साथ मे दिन के सबसे खूबसूरत लम्हा व्यतीत करना, लंच टाइम में भी जहा सभी आपस में खेलने में व्यस्त रहते, हम अपनी ही दुनिया मे मस्त रहतें। हमारी कक्षायें अलग होने का कारण सिर्फ तभी मिल पाते थे जब क्लास ना लग रही हो। स्कूल में भी दोस्तो के बीच हमारी प्रेमकहानी मशहूर हो गयी थी।
Beautiful memory of my first love.
A short  story by Suraj Jaiswal Kabira (Hindi)


स्कूल समय मे रहने वाला साथी कब तक साथ रहता। जाना उसे भी था। उससे मुझे अलग हुए 8 साल से ज्यादा हो गया पर कभी भी मुझे उसके साथ ना होने का दुःख नही हुआ, ना ही कभी उसे याद करतें करतें दुःखी होकर उसके लिए कोई कविता या शायरी ही लिखी। उसके बाद आई कई  प्रेमिकाओं के साथ बितायें लम्हो को अक्सर अपनी डायरी में कविता या कहानी के रूप में उकेडता रहता हूं। मुझे उसकी याद नही आती क्योकि मैंने उसके साथ जितने भी लम्हें जीये, उसी पल में जीये। हमने कभी भी सपने नही देखे थे अपनी शादी के या किसी शायर की तरह चाँद पर घर बसाने की। हमे कभी भी उसकी जरूरत नही महसूस हुई, और ना ही कभी याद रहा कि ऐसा भी कुछ होता होगा। हमने किसी भी पल में भविष्य की कोई काल्पनिक दुनिया नही बसाई। आज मैं जिस उम्र के पड़ाव पर हु यहां मुझे महसूस होती है कि कोई साथ होता, पर कभी ऐसा नही सोच पाया कि वो साथ होती। और यदि वो होती तो शायद अभी के माहौल के अनुसार हमारा प्रेम उतना पवित्र भी नही रह पाता। हमने कभी कोई ऐसी दुनिया देखी ही नही थी जो भविष्य में हम साथ हो। जो जैसा लम्हा था उसको जीये, सौ फीसदी जिये।

ऐसा नही है कि उसको भूल चुका हूं। सम्भव ही नही जिसके साथ जीवन का सबसे खूबसूरत लम्हा गुजरा हो उसे भूल जाउ। किसी की याद में तड़पना और और किसी को याद करके उसके साथ बितायें लम्हें को हूबहू महसूस करने में बहुत दूरी का अंतर है। मुझे उसकी याद दुःख नही देती, बल्कि गर्व का अनुभव कराती है कि मैं कभी उसके जीवन का हिस्सा था। हा ये अक्सर होता है कि उसके घर के सामने से जब भी गुजरता हु मेरी बाइक की स्पीड स्वतः ही धीरे हो जाती है, और मेरी आँखें उसके छत के बालकनी पर केंद्रित हो जाती है, हालांकि मुझे यह भी पता होता है कि अब वो वहां नही रहती। और कभी मायका घूमने आयी होगी और दिख गयी तो भी उसके माथे पर चमकता हुआ सिंदूर भी होगा, और हो सकता है गोद मे एक उसके जैसे ही सुंदर सी कोई परी या कान्हा होगा, जिसके साथ वो बहुत ही सुंदर और आनंदमयी जिंदगी जी रही होगी।

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