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Thursday, 24 November 2016

वो नज़्म....जो अधूरा रह गया

कल आधी रात को
चाँद के छाव में बैठकर
कांपते हाथो से
लिखा था,
एक मुरझाया हुआ सा नज़्म

अरे हा, कल शाम को ही
फ़ोन पे मुद्दतो बाद
तुम्हारी आवाज़ सुनी थी
लगा था जैसे जुलाई के महीने में
बर्फ की बारिश हुई हो
या दिसंबर में पूरा दिन
धुप खिली हो
तुम्हारी आवाज़ से लगा था
तुम सुबक रही हो
बहुत पूछा पर तुमने
कुछ भी बताने से इंकार कर दिया
एक बार फिर मुझे एहसास हुआ
हा, सच में अब मै बेगाना हो गया हु,

कल रात
चाँद के छाव में
लिखा था मैंने
एक मुरझाया हुआ नज़्म
......

हारना भी जानता हु

सिरफिरा सा हु मै
कुछ बवाली भी हु
आँखों में हैरानियाँ
कुछ सवाली भी हु

आँखों में नमी नहीं
पर कुछ कमी सी है
मेरे सपने भी तो
हरदम हमी सी  है

बेचैन सा रहता हु
बेसब्र भी बहुत हु
मंजिल तो दूर है
बेखबर भी बहुत हु

डर के जीना सीखा नही
झुकना भी जानता हु
जीतने की जो चाहत है
हारना भी जानता हु

Wednesday, 16 November 2016

वो चाँदनी गुम हो गयी...

चाँद तो है, चाँदनी नहीं
ये कैसा रात है
सितारे है, चमक नहीं
ये कैसा आसमान है
धुंध है, कोहरा घना है
बादलो का भी पहरा बड़ा है
तुम हो सामने, तिश्नगी फिर भी
ये कैसा इज़्तिराब है

Sunday, 13 November 2016

मज़बूर दिल

उम्र के इस मोड पे
सिर्फ नज़रो का खेल होता है,
अपना कुछ चलता नही कबीरा
बस दो दिलो का मेल होता है |
Umra ke is mod pe
sirf nazro ka khel hota hai
Apna kuchh chalta nahi kabira
Bas do dilo ka mel hota hai.
कबीरा

Wednesday, 14 September 2016

हिंदी स्वाभिमान हमारा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भाषीय एकता के समबन्ध में कही गयी यह पंक्ति की ' प्रांतीय ईर्ष्या, द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी, दूसरी किसी चीज से नही। ' आज भी हम भारतीयो के लिए प्रेरणा का स्रोत है ।
भारत एक विविधताओं का देश है, और भारत की यही विशेषता भी है । अनेक संस्कृतीयो और अनेक भाषाओ को सम्माहित किये हुए भारत के हर कोने में कही ना कही हिंदी सम्माहित है । भारतीय संस्कृति की विविधताओं के बीच हिंदी ही ऐसी भाषा है जो सम्पूर्ण भारत के लोगो को एक सूत्र में पिरो सकती है । अमर शहीद वैज्ञानिक राजीव दीक्षित जी ने भी यही कहा कि 'पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के लोगो को जोड़ने का कार्य हिंदी से ही संभव है '
14 सितम्बर सं 1949 यही वो दिन था जब भारीतय संभिड़ं हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप मे स्वीकार किया गया और तब से 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । इसके अलावा 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
भारत के जन जन में व्याप्त कोटी कोटि कंठो की भाषा, भारतीय एकता की शक्ति हिंदी आज अपने स्वयं के बुनियादी अस्तित्व को बचाने का प्रयास कर रहा है । राष्ट्र भाषा होता हुए और आम जन की भाषा होते हुए भी अधिकांस दफ्तरो में हिंदी का प्रयोग बिलकुल भी नही होता । ऐसे में हिंदी भाषियों के लिए जगह जगह दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । अगर वास्तव में हिंदी को उसका खोया सम्मान वापस दिलाना है तो सम्पूर्ण भारतवाशियों को एक सुर में बोलना होगा 'हिंदी है हम ,हिंदी स्वाभिमान हमारा' ।
महात्मा गांधी जी ने हिंदी को राष्ट्र के उन्नति का मूल समझ कर हिंदी स्वाभिमान के लिए लड़ाई नहीं लड़ी, प्रत्युत उनसे पूर्व भी देश के सभी अंचलो के समाज सुधारको , संतो  और नेताओ ने इसके महत्व को समझ लिया था, और हिंदी को यह महत्व इसलिए नही दिया गया था कि यह सारी भारतीय भाषाओ में ऊँची है , बल्कि उसे राष्ट्रभाषा इसलिए कहा और समझा जाता है कि हिंदी को जानने ,समझने और बोलने वाले देश के कोने कोने में फैले हुए है । ये लोग चाहे किसी भी संस्कृति से सम्बन्ध रखते हो, चाहे व्याकरण नहीं जानते हो पर पर उनमे हिंदी अवश्य ही सम्माहित होती है । और अगर इतनी सिदृन भाषा ही अपना अस्तित्व खोने लगे तो सांस्कृतिक पतन निश्चित है ।
अतः यह स्पष्ट है भाषा का क्षय संस्कृति का क्षय है । और यदि भारतीय संस्कृति का विनाश हो जाता है तो भारत से राष्ट्रवाद भी समाप्त हो जायेगा और भारत कभी अखंड नहीं रह पायेगा ।अगर हमें अपनी अखंडता और संप्रभुत्व सम्पनता बनाये रखनी है तो हम सब को हिंदी को अपनाना ही होगा । सम्पूर्ण भारत में  एक ही ध्वनि गुंजायमान होनी चाहिए ' हिंदी है हम, हिंदी स्वाभिमान हमारा ,।
कबीरा

Treatment of stomach problems (Piles/constipation) with Yoga and Ayurveda method(Hindi) - Suraj Jaiswal Kabira

बवासीर कुछ दिन पहले बहुत से लोगो द्वारा बवासीर के इलाज के तरीके पूछा जा रहा था। मुझे कई लोगो ने वहां बोला कि इसके लिए सही योग विधि बताऊ। ...